दो एक समान आवेशित गोलों का समान लम्बाई की डोरियों से लटकाया गया है। डोरियाँ एक दूसरे से $37^{\circ}$ का कोण बनाती हैं। जब इन्हें $0.7$ ग्राम/सेमी. ${ }^3$, घनत्व के किसी द्रव में डुबाया जाता है, तो उनके बीच बना कोण वही रहता है। यदि गोले के पदार्थ का घनत्व $1.4$ग्राम/सेमी. ${ }^3$ हो, तो द्रव का परावैद्युतांक. . . . . . . . होगा। $\left(\tan 37^{\circ}=\frac{3}{4}\right)$.
$1$
$3$
$2$
$10$
निम्न चित्र में दो सर्वसम संधारित्र एक बैटरी और एक बन्द बटन संयोजित किये गये हैं। अब बटन को विच्छेदित $(OFF)$ करके संधारित्रों की प्लेटों के मध्य $3$ परावैद्युतांक वाला परावैद्युत भरा गया है। दोनों संधारित्रों की कुल स्थैतिक विद्युत ऊर्जा का अनुपात, परावैद्युत भरने के पूर्व और पश्चात् होगा
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की वोल्टेज श्रेणी (rating) $500\, V$ है। इसका परावैधुत पदार्थ अधिकतम $10^{6} \,V / m$ का विधुत क्षेत्र सहन कर सकता है। प्लेट का क्षेत्रफल $10^{-4} m ^{2}$ है। यदि संधारित्र की धारिता का मान $15 \,pF$ हो तो परावैधुतांक का मान होगा । (दिया है $\in_{0}=8.86 \times 10^{-12} \,C ^{2} / Nm ^{2}$ )
एक समान्तर संधारित्र की प्लेटों के बीच पृथक्कृत नगण्य मोटाई की ऐल्युमीनियम की पत्ती रख दी जाती है। संधारित्र की धारिता
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल $A$ हैं और प्लेटों के बीच दूरी $d$ हैं। प्लेटों के बीच स्थान को एक परावैद्युत से भरा गया है जिसकी विद्युतशीलता एक प्लेट पर $\varepsilon_{1}$ से दूसरी प्लेट पर $\varepsilon_{2}$ तक रेखिक रूप में परिवर्तित होती है। संधारित्र की धारिता हैं :
एक संयुक्त समानान्तर पट्टिका संधारित्र, दो अलग-अलग परावैद्युत पदार्थो से बना है, जिनकी मोटाई $t_1$ एवं $t_2$ है, जैसाकि चित्र में दर्शाया गया है। दोनों परावैद्युत पदार्थो को एक पतली सुचालक पन्नी $F$ से अलग किया गया है। सुचालक पन्नी पर विभव $..........V$ होगा।