दो वृत्ताकार कुण्डलियों को चित्रानुसार तीन स्थितियों में व्यवस्थित किया जा सकता है। उनका अन्योन्य प्रेरकत्व होगा
स्थिति $(A)$ में अधिकतम
स्थिति $(B)$ में अधिकतम
स्थिति $(C)$ में अधिकतम
सभी स्थितियों में
$(a)$ चित्र में दर्शाए अनुसार एक लंबे, सीधे, तार तथा एक वर्गाकार लूप जिसकी एक भुजा की लंबाई $a$ है, के लिए अन्योन्य प्रेरकत्व का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
$(b)$ अब मान लीजिए कि सीधे तार में $50\, A$ की धारा प्रवाहित हो रही है तथा लूप एक स्थिर वेग $v=10\, m / s$ से दाईं ओर को गति कर रहा है। लूप में प्रेरित विध्यूत वाहक बल का परिकलन उस क्षण पर कीजिए जब $x=0.2 \,m$ हो। लूप के लिए $a=0.1 \,m$ लीजिए तथा यह मान लीजिए कि उसका प्रतिरोध बहुत अधिक है।
एक ' $R$ ' त्रिज्या वाले तार के एक छोटे वृत्ताकार पाश का भुजा $\mathrm{L}(\mathrm{L}>\mathrm{R})$ के तार के एक बड़े वर्गाकार पाश के अन्दर रखा गया है, इस व्यवस्था में अन्योन्य प्रेरकत्व ज्ञात कीजिए। दोनो पाश सह-तलीय तथा सकेन्द्रिय हैं।
दो कुण्डलियों के स्वप्रेरण $2\, mH$ तथा $8\, mH$ हैं। दोनों को इतना नजदीक रखा गया कि पहली कुण्डली का चुम्बकीय फ्लक्स दूसरी से भी लिंक हो सके। तो इनके बीच अन्त: प्रेरण ......$ mH$ है :
दो कुण्डलियों, $A$ और $B$ में फेरों की संख्या क्रमश: $300$ व $600$ है तथा वे एक दूसरे के पास-पास रखी हैं। कुण्डली $A$ में $3.0$ ऐम्पियर धारा करने पर $A$ से संलग्न फ्लक्स $1.2 \times {10^{ - 4}}\,weber$ है तथा $B$ से संलग्न फ्लक्स $9.0 \times {10^{ - 5}}\,weber$ है। इनका अन्योन्य प्रेरकत्व है
${R_1}$ व ${R_2}$ त्रिज्या के दो वृत्तीय चालक लूप, जिनके केन्द्र एक ही बिन्दु पर हैं, एक ही तल पर रखे हैं। यदि ${R_1} > > {R_2}$, तो उनके बीच अन्योन्य प्रेरकत्व $M$ अनुक्रमानुपाती होगा