तीन आवेश ‘$a$’ भुजा वाले समबाहु त्रिभुज के शीर्षों पर रखे हैं। शीर्ष $A$ पर रखे आवेश द्वारा अनुभव किया गया बल $BC$ के लम्बवत् दिशा में होगा
${Q^2}/(4\pi {\varepsilon _0}{a^2})$
$ - {Q^2}/(4\pi {\varepsilon _0}{a^2})$
शून्य
${Q^2}/(2\pi {\varepsilon _0}{a^2})$
दो धन-आयनों के बीच की दूरी $d$ है और प्रत्येक पर $q$ आवेश है। यदि इन दो आयनो के बीच का प्रत्याकर्षण बल $F$ हो तो, प्रत्येक आयन में से कितने इलेक्ट्रॉन लुप्त (अविद्यमान) हैं। $(e$ -एक इलेक्ट्रॉन का आवेश है )
समान परिमाण तथा विपरीत प्रकृति के दो आवेश किसी निश्चित दूरी पर रखे हैं। इनके कारण उदासीन बिन्दु
$3 ×10 ^{-6}\, C$ एवं $8 ×10 ^{-6} \, C$ के दो बिन्दु आवेश एक दूसरे को $ 6 ×10^{-6}\, N$ के बल से प्रतिकर्षित करते हैं। यदि प्रत्येक को $-6 ×10 ^{-6}\, C$ का अतिरिक्त आवेश दे दिया जाये तो इनके मध्य बल होगा
दो स्थिर इलेक्ट्रॉनों, जिनके बीच की दूरी $'2d'$ है, के बीच इन्हें मिलाने वाली रेखा के मध्यबिन्दु पर तीसरा आवेश प्रोटॉन रखा है। इस प्रोटॉन को किसी लघु दूरी $x ( x < d )$ तक दोनों इलेक्ट्रॉनों को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत् विस्थापित किया गया है। इसके कारण यह प्रोटॉन सरल आवर्त गति करने लगता है, जिसकी कोणीय आवत्ति होती है: $( m =$ आवेशित कण की संहति $)$
एक उदासीन धात्विक गोले से जब ${10^{14}}$ इलेक्ट्रॉन हटाये जाते हैं, तो गोले पर आवेश हो जाता है