एक प्रत्यास्थ तार के लिये प्रति एकांक आयतन में सम्पन्न कार्य है
$($प्रतिबल $\times $ विकृति$)$
$\frac{1}{2}$$($प्रतिबल $\times $ विकृति$)$
$2($प्रतिबल $\times $ विकृति$)$
प्रतिबल$/$विकृति
यदि किसी स्प्रिंग को $2$ सेमी खींचने पर उसकी स्थितिज ऊर्जा $V$ है, तो उसे $10$ सेमी खींचने पर उसकी स्थितिज ऊर्जा होगी
$50$ सेमी लम्बे एवं $1$ मिली मीटर ${^2}$ अनुप्रस्थ काट वाले एक तार की लम्बाई में $1$ मिली मीटर की वृद्धि की जाती है। इसके लिए आवश्यक कार्य होगा $(Y = 2 \times {10^{10}}N{m^{ - 2}})$
निम्नलिखित में से प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा घनत्व के लिए सही सम्बन्ध है
तार $A$ एवं $B$ समान पदार्थ से बने हैं। $A$ का व्यास $B$ से दोगुना एवं लम्बाई तीन गुनी है। यदि दोनों तारों को समान बल से खींचा जाये तो प्रत्यास्थ सीमा के अन्दर, तार $A$ एवं $B$ में संचित ऊर्जा का अनुपात होगा
दो तारों के पदार्थ के यंग प्रत्यास्थता गुणांक का अनुपात $2:3$ है। यदि दोनों तारों पर समान प्रतिबल आरोपित किया जाये, तो प्रति एकांक आयतन प्रत्यास्थ ऊर्जा का अनुपात होगा