स्पर्शज्या धारामापी की चुम्बकीय सुई किसी चुम्बक के कारण $30^o$  से विक्षेपित होती है। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक कुण्डली के तल के अनुदिश $0.34 \times {10^{ - 4}}\,T$ है। तो चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र है

  • [AIIMS 2000]
  • A

    $1.96 \times {10^{ - 4}}\,T$

  • B

    $1.96 \times {10^{ - 5}}\,T$

  • C

    $1.96 \times {10^{ 4}}\,T$

  • D

    $1.96 \times {10^{  5}}\,T$

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एक चुम्बक को ऐंठन रहित धागे के द्वारा चुम्बकीय याम्योत्तर में लटकाया गया है। चुम्बक को याम्योत्तर से $30°$ विक्षेपित करने के लिये धागे को ऊपर से $180°$ कोण से घुमाया जाता है। यदि इस चुम्बक के स्थान पर किसी अन्य चुम्बक को चुम्बकीय याम्योत्तर से $30°$ कोण से विक्षेपित करने के लिये धागे को ऊपर से $270°$ कोण से घुमाया जाये तो दोनों चुम्बकों के चुम्बकीय आघूर्णों का अनुपात होगा

पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक के कारण बल रेखाएँ होती हैं

  • [AIIMS 1998]

एक कम्पास सुई का चुम्बकीय आघूर्ण $60\, amp × m^2$ है, एवं किसी स्थान पर यह पृथ्वी के भौगोलिक उत्तर की ओर है। यदि इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक $40\, \mu Wb/m^2$, है एवं सुई के द्वारा अनुभव किया गया बल आघूर्ण $1.2 \times {10^{ - 3}}\,N \times m$ है तो इस स्थान पर दिक्पात का कोण ......$^o$ होगा

एक धारावाही कुण्डली का अक्ष $N-S $ दिशा के लम्बव्त है। माना पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक $H_o $ एवं लूप के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र $H $ है। यदि लूप के अन्दर एक चुम्बक को लटकाया जाये और यह $H $ से $\theta $ कोण बनाते हुये संतुलित हो, तब $\theta $$=$

किसी स्थान पर नमन् कोण का सही मान ${60^o}$ है, चुम्बकीय याम्योत्तर से ${30^o}$ के कोण पर झुके समतल में नमन् कोण का आभासी मान है