भुजा ' $a$ ' तथा एक फेरे वाला छोटा वर्गाकार लूप, भुजा $b$ तथा एक फेरे $( b \gg$ a) वाले बड़े वर्गाकार लूप के अन्दर रखा है। ये दोनों लूप समतलीय हैं तथा उनके केन्द्र संपाति हैं। यदि भुजा ' $b$ ' के वर्गाकार लूप में $I$ धारा प्रवाहित की जाती है, तो दोनों लूपों के बीच पारस्परिक प्रेरकत्व है :
$\frac{\mu_{0}}{4 \pi} 8 \sqrt{2} \frac{{a}^{2}}{{b}}$
$\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \frac{8 \sqrt{2}}{{a}}$
$\frac{\mu_{0}}{4 \pi} 8 \sqrt{2} \frac{{b}^{2}}{{a}}$
$\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \frac{8 \sqrt{2}}{{b}}$
दो परिपथों के बीच अन्योन्य प्रेरकत्व $0.1\, H$ है। जब एक परिपथ में धारा $0.02$ सैकण्ड में $0$ से $20\, A$ हो जाती है तो दूसरे परिपथ में उत्पन्न औसत विद्युत वाहक बल ......$V$ होगा
$(a)$ चित्र में दर्शाए अनुसार एक लंबे, सीधे, तार तथा एक वर्गाकार लूप जिसकी एक भुजा की लंबाई $a$ है, के लिए अन्योन्य प्रेरकत्व का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
$(b)$ अब मान लीजिए कि सीधे तार में $50\, A$ की धारा प्रवाहित हो रही है तथा लूप एक स्थिर वेग $v=10\, m / s$ से दाईं ओर को गति कर रहा है। लूप में प्रेरित विध्यूत वाहक बल का परिकलन उस क्षण पर कीजिए जब $x=0.2 \,m$ हो। लूप के लिए $a=0.1 \,m$ लीजिए तथा यह मान लीजिए कि उसका प्रतिरोध बहुत अधिक है।
दो कुण्डलियों के स्वप्रेरण $2\, mH$ तथा $8\, mH$ हैं। दोनों को इतना नजदीक रखा गया कि पहली कुण्डली का चुम्बकीय फ्लक्स दूसरी से भी लिंक हो सके। तो इनके बीच अन्त: प्रेरण ......$ mH$ है :
दो कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरकत्व $1.25$ हेनरी है। यदि प्राथमिक कुण्डली में धारा $80$ ऐम्पियर/सैकण्ड की दर से परिवर्तित होती है, तो द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल ...... वोल्ट होगा
एक छोटी परिनालिका (जिसकी लम्बाई $\ell$ तथा त्रिज्या $r$ है और प्रति लम्बाई $n$ फेरें हैं), जो कि समअक्षीय बहुत लम्बी परिनालिका (जिसकी प्रति लम्बाई में $N$ फेरें है और लम्बाई $L$ एवं त्रिज्या $R$, जहाँ $R > r$ हैं) के अंदर इसके अक्ष पर रखी जाती है। छोटी परिनालिका में धारा । प्रवाहित होती है। सही तथ्य का चुनाव कीजिए।