पृथ्वी के पृष्ठ से $1\, km$ ऊँचाई पर गुरूत्वीय त्वरण का मान वही है जो पृथ्वी के भीतर $d$ गहराई पर है, तो $d\,=$ ......... $km$
$\frac{4}{3}$
$\;\frac{3}{2}$
$\;\frac{2}{3}$
$2$
समान त्रिज्या वाली लोहे की एक गेंद और लकड़ी की एक गेंद $‘h’ $ ऊँचाई से निर्वात् में छोड़ी जाती हैं। इनके पृथ्वी तक पहुँचने के समय होंगे
एक भार को एक स्प्रिंग तुला द्वारा लिफ्ट की छत से बाँध दिया गया है। जब लिफ्ट स्थिर है तो स्प्रिंग तुला का पाठ $W$ है। यदि लिफ्ट अचानक गुरुत्व के अधीन नीचे गिरती है तो स्प्रिंग तुला का पाठ होगा
एक कमानीदार तुला द्वारा उत्तरी ध्रुव पर एक बक्से का भार $196 \,N$ नापा जाता है। इसी तुला द्वारा भूमध्य रेखा पर इस बक्से का भार निम्न में से किसके निकट होगा। ($N$ में) (उत्तरी ध्रुव पर $g$ का मान $10 \,ms ^{-2}$ लें तथा पृथ्वी की त्रिज्या $=6400\, km$ लें)
पृथ्वी की सतह से ऊँचाई $h =\frac{ R }{2}( R =$ पृथ्वी की त्रिज्या ) पर गुरूत्वीय त्वरण का मान $g_{1}$ है। यदि पृथ्वी की सतह से गहराई $d$ पर भी इसका मान फिर से $g _{1}$ पाया जाता है, तो $\left(\frac{ d }{ R }\right)$ का मान होगा।
पृथ्वी पर किसी विशेष बिन्दु पर $‘g’$ का मान $9.8\,m/{s^2}$ है। माना कि अब पृथ्वी बिना द्रव्यमान क्षति के एक समान रूप से प्रारम्भिक आकार के आधे आकार में सिकुड़ जाती है तो इसी बिन्दु पर $ ‘g’ $ का मान ........ $m/{\sec ^2}$ होगा (माना कि इस बिन्दु की दूरी, पृथ्वी के केन्द्र के सापेक्ष नहीं सिकुड़ी है)