एक इलेक्ट्रॉन विराम से $50\, V$ विभव वाले बिन्दु से $70\, V$ विभव वाले बिन्दु तक गति करता है, अंतिम अवस्था में इसकी गतिज ऊर्जा होगी
$3.2 × 10^{-10} J$
$3.2 × 10^{-18} J$
$1\, N$
$1\, dyne$
$5$ कूलॉम का एक आवेश $0.5\,m$ से विस्थापित किया जाता है। इस प्रक्रिया में किया गया कार्य $10$ जूल है। दोनों बिन्दुओं के बीच विभवान्तर ........$V$ होगा
नीचे दिए गए चित्र में एक आवेश विन्यास जिसे विध्यूत चतुर्ध्रुवी कहा जाता है, दर्शाया गया है। चतुर्ध्रुवी के अक्ष पर स्थित किसी बिंदु के लिए $r$ पर विभव की निर्भरता प्राप्त कीजिए जहाँ $r / a>>1$ । अपने परिणाम की तुलना एक विध्यूत द्विध्रुव व विध्यूत एकल ध्रुव (अर्थात् किसी एकल आवेश ) के लिए प्राप्त परिणामों से कीजिए।
एक कण $A$, $+ q$ आवेश व कण $B$, $+ 4q$ आवेश रखता है। प्रत्येक का द्रव्यमान $m$ है। जब समान विभवान्तर द्वारा विराम अवस्था से गिराया जाये, तो इनकी चालों का अनुपात $\frac{{{v_A}}}{{{v_B}}}$ हो जायेगा
निम्न चित्र में दिखाये अनुसार एक बिन्दु आवेश $6$ एक समान आवेशों से सममित रूप से घिरा है। स्थिर वैद्युत बलों के द्वारा आवेश $q$ को केन्द्र से अनन्त तक चलाने में कार्य होगा
$100\, V$ विभवान्तर से त्वरित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा होगी