नीचे दो कथन दिए गए हैं :
कथन $I:$बायो सावर्ट का नियम केवल हमें, किसी धारावाही चालक के अत्यंत सूक्ष्म धारा अवयव $(Idl)$ के चुम्बकीय क्षेत्र की क्षमता (स्ट्रैन्थ) का व्यंजक प्रदान करता है।
कथन $II$:बायो सावर्ट का नियम, आवेश $q$ के कुलाम्ब के व्युत्क्रम वर्ग नियम के अनुरूप है, जिसमें पहला एक अदिश स्रोत Idl द्वारा उत्पन्न क्षेत्र से सम्बंधित है, जबकि बाद वाला सदिश स्रोत $q$ द्वारा उत्पन्न क्षेत्र से सम्बंधित है।
उपरोक्त कथनों के आलोक में, नीचे दिए गए विकल्पों में से
कथन $I$ एवं कथन $II$ दोनों गलत हैं।
कथन $I$ सही है किन्तु कथन $II$ गलत है।
कथन $I$ गलत है किन्तु कथन $II$ सही है।
कथन $I$ एवं कथन $II$ दोनों सही हैं।
एक ऊध्र्वाधर तार $Z-X$ तल में है, जिसमें विद्युत धारा $Q$ से $P$ की ओर बह रही है (देखिये चित्र)। धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा मूल बिन्दु $O$ पर होगी
$AB$ व $CD$ दो लम्बे सीधे धारावाही चालक हैं। इनके बीच की दूरी $d$ एवं इनमें प्रवाहित धारा I है। $BC$ के मध्य बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र होगा
एक कुण्डली में $0.1\, A$ की धारा प्रवाहित हो रही है। कुण्डली में तारों के $100$ फेरे हैं तथा उसकी त्रिज्या $5$ सेमी है। कुण्डली के केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र $(B)$ का मान होगा $({\mu _0} = 4\pi \times {10^{ - 7}}\,$ वेबर/ऐम्पियर $×$ मी)
किसी वृत्ताकार कुण्डली के अक्ष पर इसके केन्द्र से $0.05\, m$ और $0.2 \,m$ की दूरी पर स्थित दो बिन्दुओं पर चुम्बकीय क्षेत्रों का अनुपात $8: 1$ है। इस कुण्डली की त्रिज्या $.....\,m$ है।
किसी लम्बे तार से कोई धारा प्रवाहित हो रही है। इस तार को एक फेरे के वृत्त में मोड़ने पर बनी कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र $B$ है। इसके बाद इसे मोड़कर $n$ फेरों की वृत्ताकार कुण्डली बनायी जाती है। इस कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र होगा