चित्र में एक आवेशित पिण्ड से निकलने वाली वैद्युत बल रेखाएँ दिखाई गई हैं। यदि $A$ तथा $B$ पर वैद्युत क्षेत्र क्रमश: ${E_A}$ व ${E_B}$ हों तथा $A$ व $B$ के बीच की दूरी $r$ है तो
${E_A} > {E_B}$
${E_A} < {E_B}$
${E_A} = \frac{{{E_B}}}{r}$
${E_A} = \frac{{{E_B}}}{{{r^2}}}$
निम्न चित्र में गॉसियन सतह $A$ द्वारा घेरे गये आवेशों के कारण इससे निर्गत फ्लक्स होगा (दिया है $q_1$ = $-14 \,nC$, $q_2$ = $78.85 \,nC$, $q_3$ = $-56 \,nC$)
एक खोखले बेलन के भीतर $q$ कूलॉम का आवेश स्थित है। यदि चित्रानुसार वक्र तल $B$ से सम्बद्ध वैधुत अभिवाह वोल्ट-मी मात्रकों में $\phi$ हो तो समतल तल $A$ से सम्बद्ध वोल्ट-मी मात्रकों में अभिवाह होगा-
एक आदर्श चालक के भीतर एक दीर्घवृत्तीय गुहिका (ellipsoidal cavity) स्थित है। गुहिका के केन्द्र पर एक धनात्मक आवेश $q$ रखा है। गुहिका की सतह पर दो बिन्दु $A$ और $B$ हैं। तब
विद्युत बल रेखाओं के बारे में असत्य कथन है
एक आवेश $q$ को घन के केन्द्र पर रखा गया है किसी भी फलक से गुजरने वाला फ्लक्स होगा: