ऊर्ध्वाधर तल में किसी प्रक्षेप्य का प्रक्षेप्य-पथ $y =\alpha x -\beta x ^{2}$, है, यहाँ पर $\alpha$ और $\beta$ स्थिरांक हैं तथा $x$ और $y$ क्रमशः प्रक्षेपण बिन्दु से प्रक्षेप्य की क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दूरियाँ हैं। प्रक्षेप-कोण $\theta$ और प्रक्षेपक द्वारा प्राप्त अधिकतम ऊँचाई $H$ का मान होगा।
निम्नलिखित में से प्रत्येक कथन को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा कारण एवं उदाहरण सहित बताइए कि क्या यह सत्य है या असत्य :
अदिश वह राशि है जो
$(a)$ किसी प्रक्रिया में संरक्षित रहती है,
$(b)$ कभी ऋणात्मक नहीं होती,
$(c)$ विमाहीन होती है,
$(d)$ किसी स्थान पर एक बिंदु से दूसरे बिंदु के बीच नहीं बदलती,
$(e)$ उन सभी दर्शकों के लिए एक ही मान रखती है चाहे अक्षों से उनके अभिविन्यास भिन्न-भिन्न क्यों न हों ।
एक प्रक्षेपण (projectile) को समतल धरातल से गति $v$ तथा प्रक्षेप कोण $\theta$ से प्रक्षेपित किया गया है। जब गुरूत्वाकर्षण के कारण त्वरण $g$ है तो प्रक्षेपण की परास $d$ है। यदि अपने प्रक्षेप पथ की अधिकतम ऊँचाई पर, प्रक्षेपण एक अन्य क्षेत्र में प्रवेश करता है जिसका प्रभावी त्वरण (effective acceleration) $g^{\prime}=\frac{g}{0.81}$ है तब नयी परास $d^{\prime}$ $=n d$ है। $n$ का मान है।. . . . . .