पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के कारण कॉस्मिक किरणों के आवेशित

  • [AIPMT 1997]
  • A

    कण भूमध्य रेखा तक पहुँच ही नहीं सकते

  • B

    कणों को भूमध्य रेखा पर पहुँचने के लिये ध्रुवों की अपेक्षा कम गतिज ऊर्जा की आवश्यकता होती है

  • C

    कणों को भूमध्य रेखा पर पहुँचने के लिये ध्रुवों की अपेक्षा ज्यादा गतिज ऊर्जा की आवश्यकता होती है

  • D

    कण ध्रुवों पर पहुँच ही नहीं सकते

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दो दण्ड चुम्बक, किसी क्षैतिज तल में क्रमशः $3\,s$ एवं $4\,s$ के आवर्तकाल से पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में दोलन कर रही हैं। यदि उनके जड़त्वाघूर्णो का अनुपात $3: 2$ है, तो उनके चुम्बकीय आघूर्णो का अनुपात होगा :

  • [JEE MAIN 2022]

एक लड़ाकू जहाज की लम्बाई $20\; m$, पंखों के सिरों के बीच दूरी $15 \;m$ तथा ऊँचाई $5 \;m$ है, और यह दिल्ली के ऊपर पूर्व-दिशा में $240\; ms ^{-1}$ गति से उड़ रहा है। दिल्ली के ऊपर पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र $5 \times 10^{-5} \;T$ है, डिक्लिनेशन कोण $\sim 0^{\circ}$ है, तथा डिप कोण $\theta$ के लिये $\sin \theta=\frac{2}{3}$ है। यदि प्रेरित-विभव हैं : $V_{B}$ जहाज के ऊपर व नीचे के बीच ; $V_{W}$ पंखों के सिरों के बीच। तब

  • [JEE MAIN 2016]

दो स्थानों पर नमन कोणों का मान क्रमशः $45^{\circ}$ तथा $30^{\circ}$ है। इन स्थानों पर एक चुम्बकीय सुई एक मिनट में क्रमशः $30$ तथा $40$ दोलन करती है। यदि, इन दो स्थानों पर पृथ्वी के कुल चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता क्रमशः $B_{1}$ तथा $B_{2}$ हैं तो, अनुपात $B_{1} / B_{2}$ का निकटतम मान होगा।

  • [JEE MAIN 2019]

चुम्बकीय याम्योत्तर एवं भौगोलिक याम्योत्तर के बीच के कोण को कहते हैं

पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक के कारण बल रेखाएँ होती हैं

  • [AIIMS 1998]