एक लड़ाकू जहाज की लम्बाई $20\; m$, पंखों के सिरों के बीच दूरी $15 \;m$ तथा ऊँचाई $5 \;m$ है, और यह दिल्ली के ऊपर पूर्व-दिशा में $240\; ms ^{-1}$ गति से उड़ रहा है। दिल्ली के ऊपर पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र $5 \times 10^{-5} \;T$ है, डिक्लिनेशन कोण $\sim 0^{\circ}$ है, तथा डिप कोण $\theta$ के लिये $\sin \theta=\frac{2}{3}$ है। यदि प्रेरित-विभव हैं : $V_{B}$ जहाज के ऊपर व नीचे के बीच ; $V_{W}$ पंखों के सिरों के बीच। तब
$V_{B}=40 mV ; V_{W}=135 mV$ बायां पंखसिरा ${ }^{-v e}$
$V_{B}=45 mV ; V_{W}=120 mV$ दायां पंखसिरा $^{+v e}$
$V_{B}=40 mV ; V_{W}=135 mV$ दायां पंखसिरा $+ ve$
$V_{B}=45 mV ; V_{W}=120 mV$ बायां पंखसिरा $^{- ve }$
एक ऊध्र्वाधर धारावाही वृत्तीय कुण्डली के केन्द्र पर उदासीन बिन्दु प्राप्त होता है अत: कुण्डली के तल एवं चुम्बकीय याम्योत्तर के बीच कोण .....$^o$ होगा
पृथ्वी की सतह पर उन बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखायें जहाँ पर चुम्बकीय क्षेत्र क्षैतिज है, कहलाती हैं
एक दिकसूचक की सुई पृथ्वी के चुम्बकीय ध्रुव पर कौनसी दिशा व्यक्त करेगी
पृथ्वी के चुम्बकीय ध्रुवों पर नमन कोण.....$^o$ होगा
रेखायें जो समान क्षैतिज तीव्रता वाले स्थान पर मिलती हैं, कहलाती हैं