एक $\alpha$-कण एवं एक प्रोट्रोन, समान विभवान्तर के द्वारा विश्रामावस्था से त्वरित किए जाते हैं। इन दोनों कणों के द्वारा प्राप्त किए गए रेखीय संवेगों का अनुपात है:
$\sqrt{2}: 1$
$2 \sqrt{2}: 1$
$4 \sqrt{2}: 1$
$8: 1$
वै त क्षेत्र $E$, $X - $ दिशा में है। यदि $0.2\,C$ के आवेश को $X$-अक्ष के साथ $60^\circ $ का कोण बनाने वाली रेखा पर $2$ मीटर दूर तक चलाया जाये, तो कार्य का मान $4$ जूल है। $E$ का मान ......$N/C$ है
दो बिन्दुओं $P$ एवं $Q$ के विभ्नवों को क्रमश: $10\, V$ एवं $-4\, V$ पर बनाए रखा जाता है। $100$ इलेक्ट्रॉनों को $P$ से $Q$ तक गति कराने में किया गया कार्य है
$10\, e.s.u.$ आवेश को $40\, e.s.u.$ आवेश से $2$ सेमी तथा $20\, e.s.u.$ आवेश से $4$ सेमी की दूरी पर रखा जाता है। अर्ग में $10\,e.s.u.$ आवेश की स्थितिज ऊर्जा है
किसी आवेशित कण $q$ को एक दूसरे आवेशित कण $Q$ जो कि स्थिर है, की ओर वेग $v$ से छोड़ा जाता है। यह $Q$ की न्यूनतम दूरी $r$ तक उपगमन करके वापस लौट आता है। यदि $q$ को वेग $2v$ से छोड़ते, तो इसके उपगमन की न्यूनतम दूरी होती
एक धातु में इलेक्ट्रानों का माध्य मुक्त पथ $4 \times 10^{-8} \;m$ है। वह विद्युत-क्षेत्र जो धातु में किसी इलेक्ट्रॉन को औसत रूप में $2\;eV$ की ऊर्जा प्रदान कर सके, $V/m$ की मात्रकों में होगा