एक लम्बा तार $ABDMNDC$ चित्र में दिखाया गया है और इसमें विधुत धारा $I$ बह रही है। इस तार के $AB$ और $BC$ भाग सीधे हैं और एक दूसरे से समकोण बनाते हैं। $D$ पर तार घूमते हुए $R$ त्रिज्या का एक वृत्त $DMND$ बनाता है तथा तार के $AB$ और $BC$ भाग इस वृत्त पर क्रमशः $N$ तथा $D$ पर स्पर्श रेखाएँ बनाते है। इस दशा में वृत्त के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान है।
$\frac{\mu_{0} I}{2 R}$
$\frac{\mu_{0} I}{2 \pi R}(\pi+1)$
$\frac{\mu_{0} \mathrm{I}}{2 \pi \mathrm{R}}\left(\pi+\frac{1}{\sqrt{2}}\right)$
$\frac{\mu_{0} I}{2 \pi R}\left(\pi-\frac{1}{\sqrt{2}}\right)$
यदि $10$ सेमी त्रिज्या वाली एक वृत्ताकार कुण्डली में $10$ ऐम्पियर की धारा के कारण उसके केन्द्र पर $3.14 \times {10^{ - 3}}\,Weber/{m^2}$ का चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो, तो कुण्डली में फेरों की संख्या होगी
नीचे दो कथन दिए गए हैं :
कथन $I:$बायो सावर्ट का नियम केवल हमें, किसी धारावाही चालक के अत्यंत सूक्ष्म धारा अवयव $(Idl)$ के चुम्बकीय क्षेत्र की क्षमता (स्ट्रैन्थ) का व्यंजक प्रदान करता है।
कथन $II$:बायो सावर्ट का नियम, आवेश $q$ के कुलाम्ब के व्युत्क्रम वर्ग नियम के अनुरूप है, जिसमें पहला एक अदिश स्रोत Idl द्वारा उत्पन्न क्षेत्र से सम्बंधित है, जबकि बाद वाला सदिश स्रोत $q$ द्वारा उत्पन्न क्षेत्र से सम्बंधित है।
उपरोक्त कथनों के आलोक में, नीचे दिए गए विकल्पों में से
$r$ त्रिज्या की वर्तुल कुण्डली में $I$ धारा प्रवाहित हो रही है। इसके केन्द्र पर क्षेत्र की तीव्रता है
हाइड्रोजन परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन $5.2 \times {10^{ - 11}}\,m$ त्रिज्या की एक वृत्तीय कक्षा में घूमता है और नाभिक पर $12.56\, T$ चुम्बकीय प्रेरण उत्पन्न करता है। इलेक्ट्रॉन की गति के कारण उत्पन्न विद्युत धारा का मान होगा (दिया है ${\mu _0} = 4\pi \times {10^{ - 7}}\,Wb/A - m)$
दो पतले सर्व समरूपी चालकीय तार बहुत पतले रोधी पदार्थ से ढ़के हुए हैं। एक तार को मोड़कर एक लूप बनाया जाता है जो कि अपने केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र $B _{1}$ उत्पत्र करता है जब इसमें धारा $I$ प्रवाहित होती है। दूसरे तार को तीन सर्वसमरूपी लूपों में मोड़कर और एक साथ रखकर कुण्डली बनाते हैं जो कि लूपों के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र $B _{2}$ उत्पत्र करता है जब इसमें धारा $I / 3$ प्रवाहित होती है। अनुपात $B _{1}: B _{2}$ है