अविस्तारित $L$ लम्बाई की एकसमान शंकुनुमा तार के सिरों की त्रिज्या क्रमशः $R$ तथा $3R$ हैं। उसकी धातु का यंग-माडुलस $Y$ है। $R$ त्रिज्या वाले सिरे को एक ढृढ़ आधार पर जड़ित किया गया है तथा दूसरे सिरे पर $M$ द्रव्यमान लटकाया गया है। संतुलन-अवस्था में तार की लम्बाई होगी
$L\left( {1 + \frac{2}{9}\frac{{Mg}}{{\pi Y{R^2}}}} \right)$
$L\left( {1 + \frac{1}{9}\frac{{Mg}}{{\pi Y{R^2}}}} \right)$
$L\left( {1 + \frac{1}{3}\frac{{Mg}}{{\pi Y{R^2}}}} \right)$
$L\left( {1 + \frac{2}{3}\frac{{Mg}}{{\pi Y{R^2}}}} \right)$
नीचे चित्र में किसी दिए गए पदार्थ के लिए प्रतिबल-विकृति वक्र दर्शाया गया है। इस पदार्थ के लिए
$(a)$ यंग प्रत्यास्थता गुणांक, तथा
$(b)$ सन्निक पराभव सामर्थ्य क्या है ?
मृदु इस्पात के एक तार, जिसकी लंबाई $1.0 \,m$ तथा अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल $0.50 \times 10^{-2} cm ^{2}$ है, को दो खम्बों के बीच क्षैतिज दिशा में प्रत्यास्थ सीमा के अंदर ही तनित किया जाता है। तार के मध्य बिंदु से $100\, g$ का एक द्रव्यमान लटका दिया जाता है। मध्य बिंदु पर अवनमन की गणना कीजिए।
प्रत्यास्थता गुणांक विमीय रूप से तुल्य है
$l$ लम्बाई तथा $A$ अनुप्रस्थ परिच्छेद की लोहे की छड़ को $0°C$ से $100°C$ तक गर्म किया गया है। यदि इस छड़ को इस प्रकार रखा जाता है कि इसकी लम्बाई को बढ़ने नहीं दिया जाता हैए तो इसमें उत्पन्न बल $F$ समानुपाती रहता है