$1\,m$ लम्बी दो समानान्तर पट्यिों के बीच, $E =$ $(8 m / e )\,V / m$ मान का एकसमान विद्युत क्षेत्र उत्पन्न किया जाता है, (जहाँ $m =$ इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान एवं $e =$ इलेक्ट्रॉन का आवेश) दोनों पट्टियों के बीच सममित रूप से एक इलेक्ट्रॉन $2\,m / s$ की चाल से प्रवेश करता है। जब यह इलेक्ट्रॉन विद्युत क्षेत्र से बाहर निकलता है, तो इसके पथ में हुए विक्षेप का कोण होगा :
$\tan ^{-1} (4)$
$\tan ^{-1}(2)$
$\tan ^{-1}\left(\frac{1}{3}\right)$
$\tan ^{-1} (3)$
किसी निश्चित वेग से $x$-अक्ष के अनुदिश गतिमान धनावेश, धनात्मक $y$-अक्ष की ओर दिष्ट समरूप विद्युत क्षेत्र में प्रवेश करता है। तो इसका
जैसा कि निम्न चित्र में प्रदर्शित है, एक इलेक्ट्रॉन जब एक समांतर पट्टिका संधारित्र में क्षैतिज चाल $u$ से प्रवेश करता है तो बाहर निकलने पर कोण $\theta$ से विचलित हो जाता है। यह पाया जाता है कि $\tan \theta=0.4$ तथा गुरुत्वाकर्षण नगण्य है। यदि प्रारम्भिक क्षैतिज चाल को दोगुना कर दिया जाए तो $\tan \theta$ का मान क्या होगा?
किसी द्रव्यमान $m = 20\,gm$ पर आवेश $q = 3.0\,mC$ है। यह $20\,m/s$ के वेग से चलता हुआ एक ऐसे क्षेत्र में प्रवेश करता है जहाँ विद्युत क्षेत्र $80\,N/C$ है तथा विद्युत क्षेत्र की दिशा वही है जो द्रव्यमान के वेग की। इस क्षेत्र में $3$ सैकण्ड के बाद बाद द्रव्यमान का वेग .......$m/s$ होगा
एकसमान आवेशित गोलाकार कोश के भीतर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता होती है
समरूप विद्युत क्षेत्र ${10^3} \,V/m$. $y$-अक्ष के अनुदिश है। ${10^{ - 6}}\,C$ आवेश व $1\,g$ द्रव्यमान की वस्तु धनात्मक $x$-अक्ष के अनुदिश $10$ मीटर/सैकण्ड के वेग से प्रक्षेपित की जाती है। $10$ सैकण्ड बाद इसकी चाल मीटर/सैकण्ड में होगी (गुरुत्व को नगण्य मानते हुये)