$-q$ आवेश तथा $m$ द्रव्यमान का एक कण $+\lambda$. रेखीय आवेश घनत्व के एक अनंत लम्बे रेखीय आवेश के परितः $r$ त्रिज्या के एक वृत्त में गति करता है। तब इसका आवर्त काल होगा
( $k$ को कूलॉम नियतांक मानकर)
$\mathrm{T}^2=\frac{4 \pi^2 \mathrm{~m}}{2 \mathrm{k} \lambda \mathrm{q}} \mathrm{r}^3$
$T=2 \pi r \sqrt{\frac{m}{2 k \lambda q}}$
$\mathrm{T}=\frac{1}{2 \pi \mathrm{r}} \sqrt{\frac{\mathrm{m}}{2 \mathrm{k} \lambda \mathrm{q}}}$
$\mathrm{T}=\frac{1}{2 \pi} \sqrt{\frac{2 \mathrm{k} \lambda \mathrm{q}}{\mathrm{m}}}$
$4\,\mu\,C$ के किसी आवेश को, दो आवेशों में विभाजित किया जाता है। विभाजित आवेशों के बीच की दूरी नियत है। यदि उनके बीच में अधिकतम बल लग रहा है, तो विभाजित आवेशों का परिमाण होगा :
${E_{ckgj}} = \frac{{kQ}}{{{r^2}}}$आवेशों $4Q$, $q$ तथा $Q$ को $x$-अक्ष के अनुदिश क्रमश: $x = 0$, तथा $x = l$ पर रखा जाता है। $q$ का वह मान, ताकि आवेश $Q$ पर लगने वाला बल शून्य हो, होगा
$1\,\mu C$ के अनन्त आवेश $x$-अक्ष पर $x = 1, 2, 4, 8, ....\infty$ स्थितियों पर रखे हैं। यदि $1\,C$ का आवेश मूल बिन्दु पर स्थित हो तो इस पर आरोपित कुल बल.....$N$ होगा
दो आवेश वायु में एक-दूसरे से $d$ दूरी पर रखे हैं इनके बीच लगने वाला बल $F$ है। यदि इन्हें $2$ परावैद्युतांक वाले द्रव में डुबो दिया जाये (सभी स्थितियाँ समान रहें), तो अब इनके मध्य लगने वाला बल होगा
दो स्थिर इलेक्ट्रॉनों, जिनके बीच की दूरी $'2d'$ है, के बीच इन्हें मिलाने वाली रेखा के मध्यबिन्दु पर तीसरा आवेश प्रोटॉन रखा है। इस प्रोटॉन को किसी लघु दूरी $x ( x < d )$ तक दोनों इलेक्ट्रॉनों को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत् विस्थापित किया गया है। इसके कारण यह प्रोटॉन सरल आवर्त गति करने लगता है, जिसकी कोणीय आवत्ति होती है: $( m =$ आवेशित कण की संहति $)$