एक समान्तर प्लेट धारित्र के प्लेटों के बीच एकसमान विद्युत क्षेत्र $'\vec{E}'$ है। यदि प्लेटों के बीच की दूरी $'\mathrm{d}'$ तथा प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल $'A'$ हो तो धारित्र में एकत्रित ऊर्जा है : $\left(\varepsilon_{0}=\right.$ निर्वात की विद्युतशीलता)
$\frac{1}{2} \varepsilon_{0} \mathrm{E}^{2}$
$\varepsilon_{0} \mathrm{EAd}$
$\frac{1}{2} \varepsilon_{0} E^{2} \mathrm{Ad}$
$\frac{\mathrm{E}^{2} \mathrm{Ad}}{\varepsilon_{0}}$
एक समान्तर प्लेट संधारित्र को $50\, V$ के विभवान्तर तक आवेशित किया गया है। इसे एक प्रतिरोध से निरावेशित किया जाता है। $1$ सैकण्ड बाद, प्लेटों के मध्य विभवान्तर $40 \,V$ रह जाता है तो
एक $4 \,\mu F$ के संधारित्र को $200\, V$ संभरण (सप्लाई) से आवेशित किया गया है। फिर संभरण से हटाकर इसे एक अन्य अनावेशित $2\, \mu F$ के संधारित्र से जोड़ा जाता है। पहले संधारित्र की कितनी स्थिरवैध्युत ऊर्जा का ऊष्मा और वैध्युत-चुंबकीय विकिरण के रूप में ह्ञास होता है?
धारिता $C$ तथा $2 C$ के दो संधारित्रों को क्रमशः $V$ तथा $2 V$ विभवान्तर तक आवेशित किया जाता है। तत्पश्चात इन दोनों को इस तरह समांतर क्रम में जोड़ते हैं कि एक का धनात्मक सिरा दूसरे के ऋणात्मक सिरे से जुड़ जाता है। इस विन्यास की अंतिम ऊर्जा होगी। ($CV^2$ में)
एक गोला जिसकी त्रिज्या $1\,cm$ एवं विभव $8000\,V$ है तो इसकी सतह के नजदीक ऊर्जा घनत्व होगा
श्रेणी क्रम में जुड़े (संयोजित ) $n_{1}$ संधारित्रों में प्रत्येक की धारिता $C_{1}$ है। इस संयोजन को $4\, V$ विभवान्तर के एक स्त्रोत से आवेशित किया गया है। एक अन्य संयोजन में $n_{2}$ संधारित्रों को, जिनमें प्रत्येक की धारिता $C_{2}$ है, समान्तर (पाश्र्व) क्रम में जोड़कर, $V$ विभवान्तर के एक स्त्रोत से आवेशित किया गया है। यदि इन दोनो संयोजनों में संचित ऊर्जा समान (बराबर) हो तो $C_{1},$ के पदों $C_{2}$ का मान होगा