धारिता $C$ तथा $2 C$ के दो संधारित्रों को क्रमशः $V$ तथा $2 V$ विभवान्तर तक आवेशित किया जाता है। तत्पश्चात इन दोनों को इस तरह समांतर क्रम में जोड़ते हैं कि एक का धनात्मक सिरा दूसरे के ऋणात्मक सिरे से जुड़ जाता है। इस विन्यास की अंतिम ऊर्जा होगी। ($CV^2$ में)
$4.5$
$4.16$
$0$
$1.5$
संधारित्र के मध्य ऊर्जा रहती है
दर्शाये गये चित्र के अनुसार एक संधारित्र $C$ को प्रतिरोध $R$ के द्वारा जोड़कर आवेशित किया जाता है। बैटरी द्वारा दी गई ऊर्जा है
दो छोटे गोलाकार परस्पर $r$ दूरी पर रखे गये हैं। प्रत्येक पर $q$ वैद्युत आवेश है। यदि एक गोलाकार को दूसरे गोलाकार के चारों ओर $r$ त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर घुमाया जाता है तो सम्पन कार्य होगा
श्रेणी क्रम में जुड़े (संयोजित ) $n_{1}$ संधारित्रों में प्रत्येक की धारिता $C_{1}$ है। इस संयोजन को $4\, V$ विभवान्तर के एक स्त्रोत से आवेशित किया गया है। एक अन्य संयोजन में $n_{2}$ संधारित्रों को, जिनमें प्रत्येक की धारिता $C_{2}$ है, समान्तर (पाश्र्व) क्रम में जोड़कर, $V$ विभवान्तर के एक स्त्रोत से आवेशित किया गया है। यदि इन दोनो संयोजनों में संचित ऊर्जा समान (बराबर) हो तो $C_{1},$ के पदों $C_{2}$ का मान होगा
$6\,\mu \,F$ धारिता के एक संधारित्र को $100$ वोल्ट तक आवेशित किया गया है। संधारित्र से संचित ऊर्जा........जूल है