एक गोला जिसकी त्रिज्या $1\,cm$ एवं विभव $8000\,V$ है तो इसकी सतह के नजदीक ऊर्जा घनत्व होगा
$64 \times {10^5}\,J/{m^3}$
$8 \times {10^3}\,J/{m^3}$
$32\,J/{m^3}$
$2.83\,J/{m^3}$
दो छोटे गोलाकार परस्पर $r$ दूरी पर रखे गये हैं। प्रत्येक पर $q$ वैद्युत आवेश है। यदि एक गोलाकार को दूसरे गोलाकार के चारों ओर $r$ त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर घुमाया जाता है तो सम्पन कार्य होगा
चिकित्सा में उपयोगी डीफिब्रिलेटर (दिल की धड़कनों को सामान्य बनाने वाला उपकरण) में लगा $40$ $\mu F$ धारिता वाला संधारित्र $3000\,V$ तक आवेशित किया गया है। संधारित्र में संचित ऊर्जा $2\,ms$ अंतराल के स्पंदन (Pulse) द्वारा मरीज को दी जाती है। मरीज को दी गई शक्ति ......$kW$ होगी
तीन समान संधारित्रों को भिन्न-भिन्न क्रम में जोड़ा जाता है, किस क्रम में समान विभव पर, मह़त्तम ऊर्जा संग्रहित होगी
एक समान्तर प्लेट संधारित्र जिसकी धारिता $(C)$ $14 \,pF$ है, को एक बैटरी से, प्लेटों के मध्य $V =12\, V$ विभवान्तर तक आवेशित किया जाता है। अब बैटरी को हटाकार एक पोर्सलिन की प्लेट $( k =7)$ को प्लेटों के मध्य रखा गया है, तो प्लेट $........\,pJ$ की नियत यांत्रिक ऊर्जा के साथ प्लेटों के मध्य आगे-पीछे दोलन करने लगेगी।
(माना गया कि कोई घर्षण नहीं है)
समान आकार के दो संधारित्रों की धारिता एक समान $\mathrm{C}$ है। उनमें से एक को $\mathrm{V}$ विभव तक तथा दूसरे को $2 \mathrm{~V}$ विभव तक आवेशित किया जाता है। दोनों के ऋणात्मक सिरों को एक साथ जोड़ दिया जाता है। जब दोनों धनात्मक सिरे जोड़ दिये जायें तो संयोजित निकाय की ऊर्जा में हानि है :