एक गोला जिसकी त्रिज्या $1\,cm$ एवं विभव $8000\,V$ है तो इसकी सतह के नजदीक ऊर्जा घनत्व होगा

  • A

    $64 \times {10^5}\,J/{m^3}$

  • B

    $8 \times {10^3}\,J/{m^3}$

  • C

    $32\,J/{m^3}$

  • D

    $2.83\,J/{m^3}$

Similar Questions

$n$ समरूप संधारित्र समान्तर क्रम में जुड़े हुए हैं और $V$ विभव तक आवेशित हैं। अब इनको अलग करके श्रेणीक्रम में जोड़ें तो संयोजन की कुल ऊर्जा और विभवान्तर होगा

धातु के एक गोले से उत्पत्र विद्युत क्षेत्र में संचित ऊर्जा का मान $4.5 \;J$ है। यदि गोले में निहित आवेश $4 \mu C$ हो तो उसकी त्रिज्या का मान होगा : [दिया है : $\left.\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}=9 \times 10^{9}\; N - m ^{2} / C ^{2}\right]$

  • [JEE MAIN 2017]

किसी पूर्णत: आवेशित संधारित्र की धारिता $‘C’$ है। इस संधारित्र का विसर्जन प्रतिरोधी तार की बनी किसी ऐसी छोटी कुण्डली से होकर किया जाता है, जो द्रव्यमान $‘m’$ तथा विशिष्ट ऊष्माधारिता $'s'$ के किसी ऊष्मारोधी गुटके में अंत: स्थापित है। यदि गुटके के ताप में वृद्धि ‘$\Delta T$’ है, तो संधारित्र के सिरों के बीच विभवान्तर है

  • [AIEEE 2005]

दो संधारित्र जिनमें प्रत्येक की धारिता $1\,\mu F$ है, समान्तर  क्रम में जुड़े हैं। उनको $200\;volts$ की दिष्ट धारा द्वारा आवेशित करते हैं, उनके आवेशों की कुल ऊर्जा जूल में होगी

किसी समांतर पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल $90\, cm ^{2}$ है और उनके बीच पृथकन $2.5\, mm$ है। $400\, V$ संभरण से संधारित्र को आवेशित किया गया है।

$(a)$ संधारित्र कितना स्थिरवैध्यूत ऊर्जा संचित करता है?

$(b)$ इस ऊर्जा को पट्टिकाओं के बीच स्थिरवैध्यूत क्षेत्र में संचित समझकर प्रति एकांक आयतन ऊर्जा $u$ ज्ञात कीजिए। इस प्रकार, पट्टिकाओं के बीच विध्यूत क्षेत्र $E$ के परिमाण और $u$ में संबंध स्थापित कीजिए।