सर्दियों में ऊन के कपड़े पहने जाते हैं, क्योंकि ऊन के कपड़े
ऊष्मा उत्पन्न करने के अच्छे स्त्रोत होते हैं
वातावरण से ऊष्मा का अवशोषण करते रहते हैं
ऊष्मा के कुचालक हैं
शरीर को निरंतर ऊष्मा देते हैं
जाड़े के दिनों में हम धूप में बैठना पसन्द करते हैं क्योंकि
आरेख में दर्शाए अनुसार दो कुचालक शीटों, जिनके तापीय प्रतिरोध $R _{1}$ और $R _{2}$ तथा शीर्ष और तली के ताप $\theta_{1}$ तथा $\theta_{2}$ हैं, की संधि का ताप $\theta$ होगा।
विभिन्न पदार्थों की दो छड़ों के सिरों जिनकी ऊष्मीय चालकताएँ, अनुप्रस्थ काट की त्रिज्याएँ एवं लम्बाइयाँ $1 : 2$ के अनुपात में हैं, को समान तापान्तर पर रखा गया है। यदि बढ़ी छड़ में प्रवाहित ऊष्मा की दर $4$ कैलोरी/सैकण्ड है तो छोटी छड़ में प्रवाहित ऊष्मा की दर होगी (कैलोरी/सैकण्ड में)
एक दीवार दो परतों $A$ और $B$ की बनी है। इन परतों की मोटाई समान है परन्तु पदार्थ अलग-अलग हैं। $A$ के पदार्थ की ऊष्मा चालकता $B$ से दुगनी है। तापीय साम्य अवस्था में दीवार के सिरों का तापान्तर $36°C$ है, परत $A$ के सिरों पर तापान्तर......... $^oC$ होगा
$10 m$ लंबी एक तांबे की नली में $110^{\circ} C$ तापमान पर भाप प्रवाहित हो रही है। नली की बाहरी सतह $10^{\circ} C$ ताप पर स्थिर है | नली की आतंरिक एवं बाह्य त्रिज्याएँ क्रमशः $2 \,cm$ एवं $4 \,cm$ हैं | तांबे की ऊष्मा चालक्ता (thermal conductivity) $0.38 \,kW / m /{ }^{\circ} C$ है | स्थायी दशा (steady state) में नली की अरीय (radial) दिशा में बाहर की ओर ऊष्मा प्रवाह की दर ........... $kW$ निकटतम होगी ?