किसी गतिशील वस्तु का वेग-समय ग्राफ चित्र में दर्शाया गया है। उस समयान्तराल में, जिसमें वस्तु का त्वरण तथा मंदन अशून्य रहता है, कुल विस्थापन है..........$m$

17-10

  • A

    $60$

  • B

    $50$

  • C

    $30$

  • D

    $40$

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एक कण एक परिवर्ती बल के अन्तर्गत एकदिशिय ( $\mathrm{x}$-अक्ष के अनुदिश) गति कर रहा है। प्रारम्भ में इसकी मूल बिन्दु से दाहिनी ओर स्थिति $16$ मी. थी। समय के साथ इसकी स्थिति परिवर्तन को निम्न प्रकार दिया गया है; $\mathrm{x}=-3 \mathrm{t}^3+18 \mathrm{t}^2+16 \mathrm{t}$, जहाँ ($x$) मीटरर में तथा ($t$) सेकंड में है। कण का त्वरण शून्य होने पर इसका वेग. . . . . . . . .  .  मी./सें. होगा।

  • [JEE MAIN 2024]

विस्थापन का समीकरण $x = 2{t^2} + t + 5$ से दिया गया है। $t = 2$ सैकण्ड पर त्वरण होगा.........$m/{s^2}$

किसी गतिशील वस्तु के लिये किसी क्षण पर

यदि पिण्ड के वेग की समय पर निर्भरता समीकरण $v = 20 + 0.1{t^2}$ द्वारा व्यक्त है, तो पिण्ड गतिशील है

नीचे दिए गए कथनों को ध्यान से पढिए और कारण बताते हुए व उदाहरण देते हुए बताइए कि वे सत्य हैं या असत्य, एकविमीय गति में किसी कण की

$(a)$ किसी क्षण चाल शून्य होने पर भी उसका त्वरण अशून्य हो सकता है ।

$(b)$ चाल शून्य होने पर भी उसका वेग अशून्य हो सकता है ।

$(c)$ चाल स्थिर हो तो त्वरण अवश्य ही शून्य होना चाहिए ।

$(d)$ चाल अवश्य ही बढ़ती रहेगी, यदि उसका त्वरण धनात्मक हो ।