दो वृत्ताकार कुण्डलियों के केन्द्र एक ही बिन्दु पर स्थित हैं। दोनों का अन्योन्य प्रेरकत्व $(Mutual inductance)$ तब अधिकतम होगा, जब दोनों के अक्ष परस्पर

  • A

    समान्तर हों

  • B

    $60^o$ के कोण पर हों

  • C

    $45^o$ के कोण पर हों

  • D

    $90^o$ के कोण पर हों

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यदि प्राथमिक कुण्डली में बहने वाली  $3.0$ ऐम्पियर धारा को $0.001$ सैकण्ड में शून्य कर दिया जाये, तो द्वितीयक कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल $15000$ वोल्ट होता है। इन कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरण गुणांक.......हेनरी है

समान लम्बाई $l$ की दो लम्बी सम-अक्षीय परिनालिकाये हैं। आन्तरिक एवं बाह्य कुण्डलियों की त्रिज्यायें क्रमशः
$r _{1}$ तथा $r _{2}$ है और प्रति इकाई लम्बाई फेरों की संख्या क्रमश: $n _{1}$ तथा $n _{2}$ है। आन्तरिक कुण्डलों के अन्योन्य प्रेरकत्व तथा स्वप्रेकरत्व का अनुपात होगा।

  • [JEE MAIN 2019]

दो कुण्डलियों के स्वप्रेरण $2\, mH$ तथा $8\, mH$ हैं। दोनों को इतना नजदीक रखा गया कि पहली कुण्डली का चुम्बकीय फ्लक्स दूसरी से भी लिंक हो सके। तो इनके बीच अन्त: प्रेरण ......$  mH$ है :

  • [AIPMT 2006]

प्राथमिक और द्वितीयक परिपथों में अन्योन्य प्रेरकत्व का मान $0.5 \,H$ है। प्राथमिक और द्वितीयक परिपथों के प्रतिरोध क्रमश: $20 \,\Omega$ और $5 \,\Omega$ हैं। द्वितीयक परिपथ में $0.4$ ऐम्पियर की धारा उत्पé करने के लिये यह आवश्यक है कि प्राथमिक परिपथ में निम्न दर से धारा परिवर्तित की जाये......... ऐम्पियर/सैकण्ड

अन्योन्य प्रेरण गुणांक का मान क्या होगा यदि चुम्बकीय फ्लक्स $2 \times {10^{ - 2}}\,Wb$ से परिवर्तित हो जाये एवं धारा में परिवर्तन $0.01\,A$  .....हेनरी हो

  • [AIIMS 2002]