$C$ धारिता के संधारित्र में संचित ऊर्जा क्या होगी, जबकि उसका विभव $V$ तक बढ़ाया जाये
$\frac{1}{2}\,CV$
$\frac{1}{2}\,C{V^2}$
$CV$
$\frac{1}{{2\,VC}}$
$4\,\mu \,F$ धारिता की एक वस्तु को $80\,V$ तक आवेशित करते हैं तथा $6\,\mu \,F$ धारिता की दूसरी वस्तु को $30\,V$ तक आवेशित करते हैं जब इन्हें जोड़ा जाता है तो $4\,\mu \,F$ धारिता वाली वस्तु की ऊर्जा में हानि .....$mJ$ है
एक $4 \,\mu F$ के संधारित्र को $200\, V$ संभरण (सप्लाई) से आवेशित किया गया है। फिर संभरण से हटाकर इसे एक अन्य अनावेशित $2\, \mu F$ के संधारित्र से जोड़ा जाता है। पहले संधारित्र की कितनी स्थिरवैध्युत ऊर्जा का ऊष्मा और वैध्युत-चुंबकीय विकिरण के रूप में ह्ञास होता है?
एक संधारित्र जिसकी धारिता $2\,\mu F$ है इसे $200\, V$ तक आवेशित किया जाता है आवेशन के पश्चात् प्लेटों को एक चालक तार से जोड़ दिया जाता है। उत्पé ऊष्मा जूल में होगी
$16 \Omega$के तार को जोड़कर एक वर्णकार लुग बनाया गया है। $1 \Omega$ आन्तरिक प्रतिरोध की एक $9 \mathrm{~V}$ की बैटरी से इसकी एक भुजा से जोड़ा जाता है। यदि $4 \mu \mathrm{F}$ का एक संधारित्र इसके विकर्ण से जोड़ा गया हो तो संधारित्र में संचित $\frac{x}{2} \mu \mathrm{J}$ ऊर्जा होगी। जहाँ $\mathrm{x}=$. . . . . . . .
समान आकार के दो संधारित्रों की धारिता एक समान $\mathrm{C}$ है। उनमें से एक को $\mathrm{V}$ विभव तक तथा दूसरे को $2 \mathrm{~V}$ विभव तक आवेशित किया जाता है। दोनों के ऋणात्मक सिरों को एक साथ जोड़ दिया जाता है। जब दोनों धनात्मक सिरे जोड़ दिये जायें तो संयोजित निकाय की ऊर्जा में हानि है :