एक धातु के गोले $A$ को धनावेश दिया जाता है जबकि दूसरे अन्य एकसमान धातु के गोले को उतना ही ऋणावेश दिया जाता है दोनों के द्रव्यमान समान हैं तो
$A$ और $B$ दोनों के द्रव्यमान उतने ही रहेंगे
$A$ का द्रव्यमान बढ़ जायेगा
$B$ का द्रव्यमान घट जायेगा
$B$ का द्रव्यमान बढ़ जायेगा
अब ऐसा विश्वास किया जाता है कि स्वयं प्रोटोन एवं न्यूट्रॉन ( जो सामान्य द्रव्य के नाभिकों का निर्माण करते हैं) और अधिक मूल इकाइयों जिन्हें कवार्क कहते हैं, के बने हैं। प्रत्येक प्रोटोन तथा न्युट्रोन तीन कवाकों से मिलकर बनता है। दो प्रकार के कवार्क होते हैं : 'अप' कवार्क ( $u$ द्वार निर्दिष्ट) जिन पर $+(2 / 3) e$ आवेश तथा 'डाउन' कवार्क ( $d$ द्वारा निर्दिष्ट) जिन पर $(-1 / 3)$ आवेश होता है, इलेक्ट्रॉन से मिलकर सामान्य द्रब्य बनाते हैं। (कुछ अन्य प्रकार के कवार्क भी पाए गए हैं जो भिन्न असामान्य प्रकार का द्रव्य बनाते हैं।) प्रोटॉन तथा न्यूट्रोन के संभावित कवार्क संघटन सुझाइए।
जब काँच की छड़ को रेशम के टुकड़े से रगड़ते हैं तो दोनों पर आवेश आ जाता है। इसी प्रकार की परिघटना का वस्तुओं के अन्य युग्मों में भी प्रेक्षण किया जाता है। स्पष्ट कीजिए कि यह प्रेक्षण आवेश संरक्षण नियम से किस प्रकार सामंजस्य रखता है।
किसी पिण्ड पर $ - 80\mu C$ आवेश है। इस पर अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या है
धातु का आवेशित गोला $A$ नाइलॉन के धागे से निलंबित है। विध्युतरोधी हत्थी द्वारा किसी अन्य धातु के आवेशित गोले $B$ को $A$ के इतने निकट लाया जाता है कि चित्र $( a )$ में दर्शाए अनुसार इनके केंद्रों के बीच की दूरी $10\, cm$ है। गोले $A$ के परिणामी प्रतिकर्षण को नोट किया जाता है ( उदाहरणार्थं- गोले पर चमकीला प्रकाश पुंज डालकर तथा अंशांकित पर्दे पर बनी इसकी छाया का विक्षेपण मापकर )। $A$ तथा $B$ गोलों को चित्र $(b)$ में दर्शाए अनुसार, क्रमशः अनावेशित गोलों $C$ तथा $D$ से स्पर्श कराया जाता है। तत्पश्चात चित्र $(c)$ में दर्शाए अनुसार $C$ तथा $D$ को हटाकर $B$ को $A$ के इतना निकट लाया जाता है कि इनके केंद्रों के बीच की दूरी $5.0\, cm$ हो जाती है। कूलॉम नियम के अनुसार $A$ का कितना अपेक्षित प्रतिकर्षण है? गोले $A$ तथा $C$ एवं गोले $B$ तथा $D$ के साइज् सर्वसम हैं। $A$ तथा $B$ के केंद्रों के पृथकन की तुलना में इनके साइजो की उपेक्षा कीजिए।
$\alpha $ - कण पर आवेश है