बिन्दु आवेश $q$ के एक विद्युत क्षेत्र में, कोई निश्चित आवेश बिन्दु $A$ से $B$, $C$, $D$ व $E$ पर ले जाया जाता है, तो किया गया कार्य
पथ $AB$ के अनुदिश न्यूनतम होगा
पथ $AD$ के अनुदिश न्यूनतम होगा
$AB,\;AC,\;AD$ तथा $AE$ में सभी पथों के अनुदिश शून्य हैं
पथ $AE$ के अनुदिश न्यूनतम है
किसी आवेश $5\,\mu \,C$ को विद्युत क्षेत्र में $A$ बिन्दु से $B$ बिन्दु तक ले जाने में किये गये कार्य का मान $10\,mJ$ है, तब $({V_B} - {V_A})$ का मान होगा
दिखाये गये समकोणीय समद्विबाहु त्रिभुज के कोनों पर तीन आवेश $Q + q$ तथा $+ q$ रखे गये हैं। इस विन्यास की कुल विधुतस्थैतिक ऊर्जा शून्य होगी यदि $Q$ का मान है।
निम्न चित्र में आयत के दो शीर्षों पर आवेश ${q_1} = - \,5\,\mu C$ तथा ${q_2} = + \,2.0\,\mu C$ रखे गये हैं। बिन्दु $B$ से $ + \,3.0\,\mu C$ आवेश को $A$ तक लाने में किया गया कार्य......$J$ होगा $(1/4\pi {\varepsilon _0} = {10^{10}}\,N - {m^2}/{C^2})$
एक इलेक्ट्रॉन को दूसरे इलेक्ट्रॉन की ओर लाने पर निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा
$m$ द्रव्यमान के एक बिन्दु आवेश $q$ को $\ell$ लम्बाई की एक डोरी द्वारा ऊर्ध्वाधर रूप से लटकाया जाता है। अब द्विध्रुव आघूर्ण $\overrightarrow{ p }$ के एक बिन्दु द्विध्रुव को अनन्त से $q$ की ओर इस प्रकार लाया जाता है कि आवेश दूर गति करता है। द्विध्रुव की दिशा, कोणों तथा दूरियों सहित निकाय की अन्तिम साम्य स्थिति नीचे चित्र में दर्शायी गई है। यदि द्विध्रुव को इस स्थिति तक लाने में किया गया कार्य $N \times( mgh )$ है, जहाँ $g$ गुरूत्वीय त्वरण है, जब $N$ का मान. . . . . . . है। (ध्यान दीजिये की बिन्दु द्रव्यमान को साम्यावस्था में बनाए रखते हुए तीन समतलीय बलों के लिए, $\frac{ F }{\sin \theta}$ सभी बलों के लिए समान है, जहाँ $F$ कोई एक बल है तथा $\theta$ अन्य दो बलों के मध्य कोण है।)