मिलिकन की तेल बूँद विधि के एक प्रयोग में $Q$ आवेश की एक तेल बूँद को $2400$ वोल्ट विभवान्तर से दोनों प्लेटों के बीच स्थिर रखा जाता है। इस बूँद की आधी त्रिज्या की एक अन्य बूँद को स्थिर रखने के लिए $600$ वोल्ट विभवान्तर की आवश्यकता होती है। तब इस दूसरी बूँद पर आवेश क्या होगा
$\frac{Q}{4}$
$\frac{Q}{2}$
$Q$
$\frac{{3Q}}{2}$
दो समान्तर क्षैतिज प्लेट जो एक दूसरे से $2$ सेमी. दूरी पर हैं के मध्य $12000 \,V$ का विभवान्तर आरोपित किया जाता है। एक तेल बूंद जिस पर $2e$ आवेश है प्लेटों के मध्य स्थिर है। यदि तेल का घनत्व $900$ किमी./मी$^3$ हो तो बूंद की त्रिज्या होगी
दो धातु की पट्टियाँ जिनके बीच विभवान्तर $800\,$वोल्ट है, क्षैतिज अवस्था में एक-दूसरे से $0.02\,$ मीटर की दूरी पर है। एक $1.96 \times {10^{ - 15}}$ किग्रा संहति का कण इनके बीच सन्तुलन में लटका है। यदि $e$ मूल आवेश हो, तो कण पर आवेश होगा
$0.01 m$ की दूरी द्वारा पृथक्कृत दो बड़ी वृत्तीय चकतियों को चित्र में दर्शाए अनुसार एक स्विच द्वारा एक बैटरी से संयोजित किया जाता है। घनत्व $900 kg m ^{-3}$ की आवेशित तेल की बूँदों को शीर्ष चकती के केन्द्र पर एक महिन छिद्र से छोड़ा जाता है। जब कुछ तेल की बूँदें टर्मिनल वेग प्राप्त करती है, तब चकतियों के सिरों पर $200 V$ की वोल्टता आरोपित करके स्विच को बन्द किया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप, त्रिज्या $8 \times 10^{-7} m$ की तेल की एक बूँद ऊर्ध्वाधर रूप से गति करना बन्द कर देती है तथा चकतियों के मध्य तैरती है। इस तेल की बूँद में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या. . . . . . है। (उत्प्लावन बल को नगण्य माने, गुरूत्वीय त्वरण $=10 ms ^{-2}$ तथा इलेक्ट्रॉन ($e$) पर आवेश $=1.6 \times 10^{-19} C$ लें)
दो समान्तर प्लेटों के विभव क्रमश: $-10\,V$ एवं $+30\,V$ हैं। यदि प्लेटों के बीच की दूरी $2\,cm$ हो। तो प्लेटों के मध्य विद्युत क्षेत्र .......$V/m$ होगा
दो प्लेटों के बीच का अन्तर $2\,cm$ है, $10$ वोल्ट का विद्युत विभवान्तर दोनों प्लेटों के बीच लगाया गया है, तो विद्युत क्षेत्र का मान बताइये.......$N/C$