$M ^{2+}(\operatorname{aq})$ आयन $(Z=27)$ के लिए ‘प्रचक्रण-मात्रा’ चुंबकीय आघूर्ण की गणना कीजिए।
$Z=27$
$\Rightarrow[ Ar ] 3 d^{7} 4 s^{2}$
$\therefore M^{2+}=[A r] 3 d^{7}$
i.e., $3$ unpaired electrons
$\therefore n=3$
$\Rightarrow \sqrt{n(n+2)}=\mu$
$\Rightarrow \sqrt{3(3+2)}=\mu$
$\Rightarrow \sqrt{15}=\mu$
$\mu \approx 4 \,BM$
$S{c^{3 + }}$ आयन का प्रभावी चुम्बकीय आघूर्ण है
अधिकतम चुम्बकीय आघूर्ण प्रदर्शित करने वाले संक्रमण धातु आयन का बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होगा
आप निम्नलिखित को किस प्रकार से स्पष्ट करेंगे-
$(i)$ $d^{4}$ स्पीशीज में से $Cr ^{2+}$ प्रबल अपचायक है जबकि मैंगनीज $(III)$ प्रबल ओक्सीकरक है।
$(ii)$ जलीय विलयन में कोबाल्ट $(II)$ स्थायी है परंतु संकुलनकारी अभिकर्मकों की उपस्थिति में यह सरलतापूर्वक ओक्सीकृत हो जाता है।
$(iii)$ आयनों का $d^{1}$ विन्यास अत्यंत अस्थायी है।
क्यूप्रस आयन रंगहीन है, जबकि क्यूप्रिक आयन रंगीन है क्योंकि
घण्टा धातु किसकी मिश्र धातु है