अनुप्रस्थ-काट क्षेत्रफल $S_t$ वाली एक रेलगाड़ी अनुप्रस्थ-काट क्षेत्रफल $S_0\left(S_0=4 S_t\right)$ की एक लम्बी सुरंग के अन्दर $v_t$ चाल से गतिशील है। माना की रेलगाड़ी के सामने लगभग सभी वायु (घनत्व $\rho$ ) इसके सिरों (किनारों) तथा सुरंग की दीवारों के मध्य पीछे की ओर प्रवाहित होती है तथा रेलगाड़ी के सापेक्ष वायु प्रवाह स्थिर तथा पटलीय है। परिवेशी दाब लेते हुए तथा रेलगाड़ी के अन्दर परिवेशी दाब $p _0$ है। यदि रेलगाड़ी के सिरों तथा सुरंग की दीवारों के मध्य में दाब $p$ है, तब $p _0- p =\frac{7}{2 N } \rho v _{ t }^2$ है। $N$ का मान. . . . . है।
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चित्र, परिवर्तनशील अनुप्रस्थ काट वाली क्षैतिज नली में दिए हुए घनत्व वाले स्थायी रूप से बहते हुए द्रव को प्रदर्शित करता है। $A$ पर अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.5 \mathrm{~cm}^2$ हैं एवं $\mathrm{B}$ पर यह $25 \mathrm{~mm}^2$ है। यदि $B$ पर द्रव की चाल $60 \mathrm{~cm} / \mathrm{s}$ है तो $\left(\mathrm{P}_A-P_B\right)$ का मान है
(दिया है, $\mathrm{P}_{\mathrm{A}}, \mathrm{P}_{\mathrm{B}}$ बिन्दु $\mathrm{A}, \mathrm{B}$ पर क्रमशः द्रव के दाब है। $\mathrm{A}$ एवं $\mathrm{B}$ नली के अक्ष पर है)
$\left(\rho=1000 \mathrm{~kg} \mathrm{~m}^{-3}\right)$
किसी क्षैतिज नली से एक द्रव प्रवाहित हो रहा है। अनुप्रस्थ परिच्छेद${A_1}$ व ${A_2}$वाले भागों में द्रव के वेग क्रमश: ${v_1}$ व ${v_2}$ हैं। ऊध्र्वाधर नलियों में द्रव स्तरों का अंतर $h$ है तो
एक $R$ त्रिज्या के पानी के जार, जिसे पानी से $H$ ऊँचाई तक भरा गया है, को $h$ ऊँचाई के स्टैंड पर रखा गया है (चित्र देखें)। तल में एक छोटे छिद्र, जिसकी त्रिज्या $r$ है $( r << R )$, से नीचे गिरते हुए पानी की धार एक 'कीप' का आकार धारण करती है। यदि भूमि के तल पर पानी की धार के अनुप्रस्थ काट की त्रिज्या $x$ है, तब
$1000 \,cm^3$ आयतन का लकड़ी का गुटका स्प्रिंग तुुला से लटका है। वायु में इसका भार $12\, N$ है। यह जल में इस प्रकार लटकाया जाता है कि आधा गुटका जल सतह के नीचे रहे। स्प्रिंग तुला का पाठ्यांक ........ $N$ होगा
वैंटुरीमापी कार्य करता है :