पृथ्वी के वायुमण्डल में रॉकेट ऊध्र्वाधर ऊपर की ओर गति कर सकता है, क्योंकि
यह वायु से हल्का है
सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के कारण खिंचाव बल लगता है
इसमें एक पंखा लगा होता है जो रॉकेट के भार से अधिक वायु को प्रति सैकण्ड विस्थापित करता है
उत्सर्जित गैस के द्वारा रॉकेट पर बल आरोपित होता है
एक $0.15$ कि.ग्रा. की गेंद $10$ मी. ऊँचाई से गिरायी जाती है तथा जमीन से टकराकर समान ऊँचाई तक उछलती है। गेंद पर लगाये गये आवे ग का परिमाण होता है, लगभग : $\left(\mathrm{g}=10\right.$ मी./से. ${ }^{2}$ ) (कि.ग्रा. $\times$ मी./ से. में)
एक हाइड्रोजन अणु का द्रव्यमान $3.32 \times 10^{-27} \,kg$ है। $2\, cm ^{2}$ क्षेत्रफल की एक दीवार पर $10^{23}$ प्रति सेकण्ड की दर से हाइड्रोजन अणु यदि अभिलम्ब से $45^{\circ}$ पर प्रत्यास्थ टक्कर करके $10^{3}\, m /s$ की गति से लौटते है, तो दीवार पर लगे दाब का निकटतम मान .......... होगा
एक विमीय गति करती हुई वस्तु का रेखीय संवेग $p$, समय के साथ समीकरण $p = a + b{t^2}$ के अनुसार परिवर्तित होता है, जहाँ $a$ तथा $b$ धनात्मक नियतांक है। वस्तु पर लगने वाला परिणामी बल होगा
एक गेंद को धरातल से ऊपर की ओर ($+Z$ अक्ष) फेंका जाता है। सही संवेग ऊँचाई आरेख है।
एक पत्थर को $h$ ऊँचाई से गिराया जाता है। यह एक निश्चित संवेग $P$ से भू-तल से टकराता है, यदि इसी पत्थर को, इस ऊँचाई से $100 \%$ अधिक ऊँचाई से गिराया जाये तो भू-तल से टकराते समय इसके संवेग में परिवर्तन होगा