एक समान्तर प्लेट संधारित्र का प्लेट-क्षेत्रफल $A$ तथा प्लेट अन्तराल $d$ है। इसे $V_o$ विभव तक आवेशित किया जाता है। आवेशक बैटरी को हटाकर इसकी प्लेटों को दूर की ओर खींच कर इसका प्लेट अन्तराल पूर्व की तुलना में तीन गुना कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में किया गया कार्य है

  • A

    $\frac{{3{\varepsilon _0}AV_0^2}}{d}$

  • B

    $\frac{{{\varepsilon _0}AV_0^2}}{{2d}}$

  • C

    $\frac{{{\varepsilon _0}AV_0^2}}{{3d}}$

  • D

    $\frac{{{\varepsilon _0}AV_0^2}}{d}$

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समान्तर प्लेट संधारित्र पर आवेश $q$ है। यदि बल लगाकर प्लेटों के मध्य दूरी दुगनी कर दी जाये तो बल द्वारा किया गया कार्य होगा

एक संधारित्र का उपयोग $1200$ वोल्ट पर $24\, watt$ $×$ $hour$ ऊर्जा संचित करने के लिये किया जाता है। संधारित्र की धारिता होनी चाहिए

धारिता $C$ और $C / 2$ के दो संधारित्रों को चित्र के अनुसार $V-$वोल्ट की बैट्री से जोड़ा गया है।

दोनों संधारित्रों को पूर्ण आवेशित करने में किया गया कार्य होगा-

  • [AIPMT 2007]

$700\,pF$ धारिता का एक संधारित्र $50\,V$ की बैटरी द्वारा आवेशित किया जाता है। इसमें संचित स्थिर वैद्युत ऊर्जा होगी

समान आकार के दो संधारित्रों की धारिता एक समान $\mathrm{C}$ है। उनमें से एक को $\mathrm{V}$ विभव तक तथा दूसरे को $2 \mathrm{~V}$ विभव तक आवेशित किया जाता है। दोनों के ऋणात्मक सिरों को एक साथ जोड़ दिया जाता है। जब दोनों धनात्मक सिरे जोड़ दिये जायें तो संयोजित निकाय की ऊर्जा में हानि है :

  • [JEE MAIN 2024]