एक आवेशित कण एक चुम्बकीय क्षेत्र $H$ में इस प्रकार प्रवेश करता है कि कण का प्रारम्भिक वेग और $H$ में $45^\circ $ का कोण है। कण का पथ होगा
एक सरल रेखा
एक वृत्त
एक दीर्घवृत्त
एक कुण्डलिनी (Helix)
एक $\alpha$-कण $1.2$ $बेवर/मीटर^2$ के चुम्बकीय क्षेत्र में $0.45\;m$ की त्रिज्या क व्त्ताकार पथ में घूम रहा है। यदि इसका वेग $2.6 \times {10^7}m/s$ हो तो $\alpha$-कण का परिभ्रमण काल होगा
एक कण का द्रव्यमान $0.6\, gm$ एवं इस पर आवेश $25\, nC$ है। यह समान वेग ${\rm{1}}{\rm{.2}} \times {\rm{1}}{{\rm{0}}^{\rm{4}}}\,m{s^{ - 1}}$ से एक समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में क्षैतिजत: गति कर रहा है। तब चुम्बकीय क्षेत्र का मान है $(g = 10\,m{s^{ - 2}})$
एक इलेक्ट्रॉन पूर्व की दिशा में क्षैतिज गति कर रहा है। ऊध्र्वाधर नीचे की ओर कार्यरत एक चुम्बकीय क्षेत्र, इस इलेक्ट्रॉन पर निम्न दिशा में बल आरोपित होगा
एक प्रोटॉन की संहति $1.67 \times {10^{ - 27}}\,kg$ और आवेश $1.6 \times {10^{ - 19}}\,C$ है, इसे $60^\circ $ कोण पर $2 \times {10^6}\,m/s$ की चाल से $X - $ अक्ष पर प्रक्षेपित किया जाता है। यदि एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र $0.104$ टेसला $Y - $ अक्ष के अनुदिश आरोपित किया जाये, तो प्रोटॉन का पथ है
एक इलेक्ट्रॉन चुम्बकीय क्षेत्र $B = \hat i + 4\hat j - 3\hat k$ (टेसला) के अन्तर्गत $2 \times {10^5}$ मीटर/सैकण्ड की चाल से धनात्मक $x$-दिशा में गति करता है। इलेक्ट्रॉन पर लगने वाले बल का परिमाण न्यूटन में है (इलेक्ट्रॉन पर आवेश =$1.6 \times {10^{ - 19}}C)$