$60 pF$ धारिता के एक संधारित्र को $20 V$ के स्त्रोत से पूरा आवेशित किया जाता है। तत्तपश्चात् इसे स्त्रोत से हटाकर $60 pF$ के एक दूसरे अनावेशित संधारित्र से पार्श्व संबंधन (parallel connection) में जोड़ा जाता है। जब आवेश पूरी तरह से दोनों संधारित्रों में वितरित हो जाये तो इस प्रक्रिया में स्थिर वैधुत ऊर्जा की क्षति $nJ$ में होती है।
$5$
$6$
$7$
$8$
$50$ $\mu$F धारिता के एक संधारित्र का $10$ वोल्ट विभवान्तर तक आवेशित किया गया है, तो उसकी ऊर्जा होगी
एक समांतर पट्टीकीय संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी $d$ और प्लेटों का अनुप्रस्थ परिच्छेदित क्षेत्रफल $A$ है। इसे आवेशित कर प्लेटों के बीच का अचर विधुतीय क्षेत्र $E$ बनाना है। इसे आवेशित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा होगी
एक संधारित्र जिसकी धारिता $2\,\mu F$ है इसे $200\, V$ तक आवेशित किया जाता है आवेशन के पश्चात् प्लेटों को एक चालक तार से जोड़ दिया जाता है। उत्पé ऊष्मा जूल में होगी
बादल के एक टुकड़े का क्षेत्रफल $25 \times {10^6}\,{m^2}$ तथा विभव ${10^5}$ वोल्ट है। यदि बादल की ऊंचाई $0.75\,$ किमी है तो पृथ्वी व बादल के बीच विद्युत क्षेत्र के ऊर्जा का मान.......$J$ होगा
एक समान्तर प्लेट संधारित्र का प्लेट-क्षेत्रफल $A$ तथा प्लेट अन्तराल $d$ है। इसे $V_o$ विभव तक आवेशित किया जाता है। आवेशक बैटरी को हटाकर इसकी प्लेटों को दूर की ओर खींच कर इसका प्लेट अन्तराल पूर्व की तुलना में तीन गुना कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में किया गया कार्य है