निम्न चित्र में आयत के दो शीर्षों पर आवेश ${q_1} =  - \,5\,\mu C$ तथा ${q_2} =  + \,2.0\,\mu C$ रखे गये हैं। बिन्दु $B$ से $ + \,3.0\,\mu C$ आवेश को $A$ तक लाने में किया गया कार्य......$J$ होगा $(1/4\pi {\varepsilon _0} = {10^{10}}\,N - {m^2}/{C^2})$

110-114

  • A

    $2.8$

  • B

    $3.5$

  • C

    $4.5$

  • D

    $5.5$

Similar Questions

एक आवेश $( - \,q)$ तथा अन्य आवेश $( + \,Q)$ क्रमश: दो बिन्दुओं $A$ व $B$ पर रखे हैं। आवेश $( + \,Q)$ को $B$ पर स्थिर रखते हुये, $A$ के आवेश $( - \,q)$ को बिन्दु $C$ तक इस प्रकार चलाते हैं कि $l$ भुजा का समबाहु त्रिभुज $ABC$ बन जाये। आवेश $( - \,q)$ को चलाने में किया गया कुल कार्य है

निम्न चित्र में एक बिन्दु आवेश को बिन्दु  $P$ से $A$, $B$ तथा $C$ तक लाने में कार्य क्रमश: $W_A$, $W_B$ तथा $W_c$ ,है, तब

इस प्रश्न में प्रकथन $1$ एवं प्रकथन $2$ दिये हुए हैं। प्रकथनों के पश्चात् दिये गये चार विकल्पों में से, उस विकल्प को चुनिए जोकि दोनों प्रकथनों का सर्वोत्तम वर्णन करता है।

त्रिज्या $R$ के एक विध्युत रोधी ठोस गोले पर एकसमान धनात्मक आवेश घनत्व $\rho$ हैं। इस एकसमान आवेश वितरण कें कारण विध्युत विभव का मान गोले के केन्द्र पर, गोले के पृष्ठ पर और गोले से बाहर एक बिन्दु पर परिमित है। अनन्त पर विध्युत विभव का मान शून्य है

प्रकथन $1 :$ जव एक आवेश $q$ को गोले के केन्द्र से पृष्ठ तक ले जाया जाता है, तब स्थितिज ऊर्जा में $\frac{q \rho}{38_{0}}$ से परिवर्तन होता है।

प्रकथन $2 :$ गोले के केन्द्र से दूरी $r( r < R)$ पर विध्युत क्षेत्र $\frac{\rho r}{3 \varepsilon_{0}}$ है।

  • [AIEEE 2012]

त्रिज्या $R$ के एक ठोस गोले पर आवेश $Q + q$ सम्पूर्ण आयतन पर एकसमान रूप से वितरित है। द्रव्यमान $m$ का एक अत्यतं बिन्दु समान छोटा टुकड़ा इस गोले की तली से अलग होकर गुरूत्वीय क्षेत्र के अंतर्गत ऊर्ध्वाधर नीचे गिरता है। इस टुकड़े पर आवेश $q$ है। यदि ऊर्ध्वाधर ऊँचाई $y$ से गिरने पर इस टुकड़े की चाल $v$ हो जाती है (चित्र देखिये) तो : (मान लें शेष भाग गोलीय हैं)

  • [JEE MAIN 2020]

दो बिन्दुओं के मध्य $0.25$ कूलॉम आवेश को चलाने के लिए $4 \times {10^{10}}eV$ ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इन बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर .......$V$ है