जब इलेक्ट्रॉनों को त्वरित करने वाले विभवान्तर को एक क्रांतिक मान से अधिक मान तक बढ़ाया जाता है, तो

  • A

    केवल विभिन्न तरंगदैध्र्यो की तीव्रता बढ़ जाती है

  • B

    केवल लाक्षणिक सम्बन्ध की तरंगदैध्र्य ही प्रभावित होगी

  • C

    श्वेत विकिरणों का वर्णक्रम अप्रभावी रहता है

  • D

    श्वेत वर्णक्रम के सापेक्ष लाक्षणिक रेखाओं की तीव्रता बढ़ जाती है किन्तु उनकी तरंगदैध्र्य अप्रभावी रहती है

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क्लासिकी रूप में किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर किसी भी कक्षा में हो सकता है। तब प्ररूपी परमाणवीय साइज़ किससे निर्धारित होता है? परमाणु अपने प्ररूपी साइज़ की अपेक्षा दस हज्ञार गुना बड़ा क्यों नहीं है? इस प्रश्न ने बोर को अपने प्रसिद्ध परमाणु मॉडल, जो आपने पाठ्यपुस्तक में पढ़ा है, तक पहुँचने से पहले बहुत उलझन में डाला था। अपनी खोज से पूर्व उन्होंने क्या किया होगा, इसका अनुकरण करने के लिए हम मूल नियतांकों की प्रकृति के साथ निम्न गतिविधि करके देंखें कि क्या हमें लंबाई की विमा वाली कोई राशि प्राप्त होती है, जिसका साइज़, लगभग परमाणु के ज्ञात साइज़ $\left(\sim 10^{-10} m \right)$ के बराबर है।

$(a)$ मूल नियतांकों $e, m_{\varepsilon},$ और $c$ से लंबाई की विमा वाली राशि की रचना कीजिए। उसका संख्यात्मक मान भी निर्धारित कीजिए।

$(b)$ आप पाएंगे कि $(a)$ में प्राप्त लंबाई परमाण्वीय विमाओं के परिमाण की कोटि से काफी छोटी है। इसके अतिरिक्त इसमें $c$ सम्मिलित है। परंतु परमाणुओं की ऊर्जा अधिकतर अनापेक्षिकीय क्षेत्र (non-relativisitic domain) में है जहाँ $c$ की कोई अपेक्षित भूमिका नहीं है। इसी तर्क ने बोर को $C$ का परित्याग कर सही परमाण्वीय साइज़ को प्राप्त करने के लिए ' कुछ अन्य ' देखने के लिए प्रेरित किया। इस समय प्लांक नियतांक $h$ का कहीं और पहले ही आविर्भाव हो चुका था। बोर की सूश्मदृष्टि ने पहचाना कि $h, m_{ e }$ और $e$ के प्रयोग से ही सही परमाणु साइज़ प्राप्त होगा। अत: $h, m_{e}$ और $e$ से ही लंबाई की विमा वाली किसी राशि की रचना कीजिए और पुष्टि कीजिए कि इसका संख्यात्मक मान, वास्तव में सही परिमाण की कोटि का है।

मान लीजिए कि स्वर्ण पन्नी के स्थान पर ठोस हाइड्रोजन की पतली शीट का उपयोग करके आपको ऐल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग दोहराने का अवसर प्राप्त होता है। (हाइड्रोजन $14 K$ से नीचे

एक परमाणु में इलेक्ट्रॉन को नाभिक के चारों ओर घूमने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल, नाभिक द्वारा इलेक्ट्रॉन पर आरोपित किस बल से प्राप्त होता है

सूची$-I$ ( किया गया प्रयोग) को सूची$-II$ ( सिद्धान्त खोजा गया है/सम्बद्धित हैं) से सुमेलित कीजिऐ और सूचियों के नीचे दिये गये विकल्पों से सही विकल्प चुनिऐ :

सूची $- I$ सूची $- II$
$(a)$ डेवीसन और जर्मर प्रयोग $(i)$ इलेक्ट्रानों का तरंग प्रकार
$(b)$ मिलिकान का द्रव के गिरने का प्रयोग $(ii)$ इलेक्ट्रान का आवेश
$(c)$ रदरफोर्ड प्रयोग $(iii)$ ऊर्जा स्तर का क्वाण्टीकरण
$(d)$ फ्रैंक - हर्टज प्रयोग $(iv)$ नाभिक का अस्तित्व

  • [JEE MAIN 2014]

$3d-$इलेक्ट्रॉन के लिए सम्भव क्वांटम संख्या है