जब किसी संधारित्र की समान्तर पट्टिकाओं, जो बैटरी से जुड़ी हैं, के बीच एक परावैद्युत पदार्थ का स्लैब रखा जाता है, तो पट्टिकाओं के ऊपर आवेश पहले के आवेश की अपेक्षा
कम हो जाता है
वही रहता है
अधिक हो जाता है
अधिक हो जाता है
दो सर्वसम समान्तर पट्टिका संधारित्रों में, प्रत्येक की, धारिता $C$ है उनकी प्लेटों (पट्टिकाओं) का क्षेत्रफल $A$ हैं और पट्टिकाओं के बीच की दूरी $d$ है। दोनों प्लेटों के बीच के स्थान को $K _{1}, K _{2}$ तथा $K _{3}$ परावैधुतांक के तीन परावैधुत स्लैब से भर दिया है। सभी स्लैबों की मोटाई समान हैं किन्तु पहले संधारित्र में उन्हें, आरेख $I$ के अनुसार तथा दूसरे में आरेख $II$ के अनुसार रखा गया है।
$\left( E _{1}\right.$ तथा $E _{2}$ क्रमशः प्रथम तथा द्वितीय संधारित्र से सम्बन्धित है)
यदि इन नये संधारित्रों में प्रत्येक को समान विभव $V$ से आवेशित किया जाये तो, इनमें संचित ऊजाओं का अनुपात होगा ।
एक समान्तर पट्टिका संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच का स्थान एक परावैद्युत से भरा जाता है जिसका परावैद्युत स्थिरांक दूरी के साथ निम्न सम्बन्ध अनुसार परिवर्तित होता है :
$K (x)= K _{ o }+\lambda x(\lambda=$ एक स्थिरांक $)$
संधारित्र की धारिता $C$, इसकी निर्वात धारिता, $C _{ O }$ के साथ निम्न सम्बन्ध अनुसार सम्बन्धित होगी
नमक (सोडियम क्लोराइड) को वायु में रखने पर $1$ सेमी दूर सोडियम तथा क्लोरीन आयनों के बीच बल $F$ कार्य करता है। वायु की विद्युतशीलता तथा पानी का परावैद्युतांक क्रमश: ${\varepsilon _0}$ तथा $K$ हैं। जब नमक का टुकड़ा पानी में रखा जाता है तो $1\,cm$ दूर सोडियम तथा क्लोरीन आयनों के बीच विद्युत बल कार्य करेगा
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों की बीच दूरी $0.01\, mm$ है तथा एक परावैद्युत, जिसकी परावैद्युत क्षमता $19\, KV/mm$ है, प्लेटों के बीच एक कुचालक की तरह उपयोग किया गया है तो अधिकतम विभवान्तर जो संधारित्र की प्लेटों के मध्य आरोपित किया जा सके .......$V$ होगा
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के मध्य तेल भरा हुआ है (तेल का परावैद्युतांक$K = 2$ है) इसकी धारिता $C$ है। यदि तेल हटा लिया जाये तो संधारित्र की धारिता हो जायेगी