ध्रुवीय अणु ऐसे अणु होते हैं :
जिनका द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है।
जो विद्युत क्षेत्र के उपस्थित में ही द्विध्रुव आघूर्ण प्राप्त करते हैं, आवेशों के विस्थापन के कारण।
जो द्विध्रुव आघूर्ण केवल तभी प्राप्त करते है, जब चुम्बकीय क्षेत्र अनुपस्थित होता है।
जिनमें स्थायी विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण होता है।
किसी समान्तर पट्टिका संधारित्र, जिसकी पट्टिकाओं का क्षेत्रफल ' $A$ ' तथा पट्टिकाओं के बीच पथकन ' $d$ ' है में कोई परावैधुत पदार्थ भरा है। इस संधारित्र की धारिता क्या होगी जबकि परावैधुत पदार्थ की विधुतशीलता/ परावैघुतांक में विचरण नीचे दिए अनुसार हो रहा है :
$\varepsilon( x )=\varepsilon_{0}+ kx$, जबकि $\left(0< x \leq \frac{ d }{2}\right)$
$\varepsilon( x )=\varepsilon_{0}+ k ( d - x )$, जबकि $\left(\frac{ d }{2} \leq x \leq d \right)$
एक संधारित्र के आंतरिक और बाह्य गोलों की त्रिज्यायें क्रमश: $9\,cm$ तथा $10\,cm$ हैं। यदि गोलों के मध्य उपस्थित माध्यम का परावैद्युतांक $6$ तथा आंतरिक गोले पर आवेश $18 \times {10^{ - 9}}$ कूलॉम है तब आंतरिक गोले की सतह पर विभव क्या होगा जबकि बाह्य गोले को भू-सम्पकित .......$V$ किया गया है
निम्न चित्र में दो सर्वसम संधारित्र एक बैटरी और एक बन्द बटन संयोजित किये गये हैं। अब बटन को विच्छेदित $(OFF)$ करके संधारित्रों की प्लेटों के मध्य $3$ परावैद्युतांक वाला परावैद्युत भरा गया है। दोनों संधारित्रों की कुल स्थैतिक विद्युत ऊर्जा का अनुपात, परावैद्युत भरने के पूर्व और पश्चात् होगा
किसी समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के मध्य वायु भरी है एवं धारिता $10\,p F$ है। प्लेटों के बीच की दूरी दुगुनी कर दी जाये एवं प्लेटों के मध्य मोम भर दी जाये तो संधारित्र की धारिता $40 \times {10^{ - 12}}$ फैरड हो जाती है। मोम का परावैद्युतांक होगा
एक वायु संधारित्र की धारिता $1\,pF$ है। यदि प्लेटों के बीच की दूरी दुगुनी कर दी जाये एवं प्लेटों के मध्य मोम भर दी जाये तो धारिता बढ़कर $2\,pF$ हो जाती है, मोम का परावैद्युतांक होगा