चूषकांग होते हैं
अधिपादप (एपीफाइटिक) जड़ें
जलशोषी (हाइग्रोस्कोपिक) जड़ें
जनन (रिप्रोडक्टिव) जड़ें
परजीवी (पैरासिटिक) जड़ें
अपस्थानिक जड़तंत्र, मूसला जड़तंत्र की अपेक्षा अधिक अनुकूलित होता है
एक पुष्प में विभिन्न समय पर नर तथा मादा लैंगिक अंगों का परिपक्वन कहलाता है
सोलेनम पुष्प के कार्पल त्रियक रूप में स्थित होते हैं क्योंकि
पुष्पक्रम जो कि असीमाक्षी $(Racemes)$ नहीं है लेकिन एकल पुष्प की भांति लगता है, होता है
बाह्यदलों एवं दलों के आपसी सम्बंधो का क्रम कहलाता है :