एक पुष्प में विभिन्न समय पर नर तथा मादा लैंगिक अंगों का परिपक्वन कहलाता है
एपोगेमी
पॉलीगेमी
डाइकोगेमी
हरकोगेमी
रोम रचना उपस्थित होती है
कूटचक्रक में नोड पर उपस्थित प्रत्येक गुच्छा दर्शाता है
जब फिलामेंंट कार्पल से पूरी लम्बाई या केवल परागकोषों द्वारा जुड़ा रहता है तब यह स्थिति कहलाती है
कक्षीय कलिका और अनुपर्ण (स्टीप्युल्स) किसमें अनुपस्थित होते हैं
लिलियेसी कुल का व्यवहारिक उदाहरण है