किसी प्रथम कोटि की अभिक्रिया का अर्ध आयु काल $1386$ सेकण्ड है। उस अभिक्रिया का विशिष्ट वेग स्थिरांक है:-

  • [AIPMT 2009]
  • A

    $0.5 \times 10^{-2}\, s^{-1}$

  • B

    $0.5 \times 10^{-3}\, s^{-1}$

  • C

    $5.0 \times 10^{-2}\, s^{-1}$

  • D

    $5.0 \times 10^{-3}\, s^{-1}$

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अभिक्रिया $2P + Q \to S + T$ की क्रियाविधि निम्नानुसार है $P + Q \to R + S$(मन्द गति) $P + R \to T$(तीव्र गति) अभिक्रिया के लिये दर नियम व्यंजक है

डाईमेथिल ईथर वेफ अपघटन से $CH _{4}, H _{2}$ तथा $CO$ बनते हैं। इस अभिक्रिया का वेग निम्न समीकरण द्वारा दिया जाता है- 

वेग $=k\left[ CH _{3} OCH _{3}\right]^{3 / 2}$

अभिक्रिया के वेग का अनुगमन बंद पात्रा में बढ़ते दाब द्वारा किया जाता है, अतः वेग समीकरण को डाईमेथिल ईथर के आंशिक दाब के पद में भी दिया जा सकता है। अतः

वेग $=k\left(p_{ CH _{3} OCH _{3}}\right)^{3 / 2}$

गन्ने की शक्कर का प्रतिलोमन निरुपित करते हैं

${C_{12}}{H_{22}}{O_{11}} + {H_2}O \to {C_6}{H_{12}}{O_6} + {C_6}{H_{12}}{O_6}$

यह अभिक्रिया है

दी गई स्थितियों में किस स्थिति में अभिक्रिया पूर्ण होने में सबसे अधिक समय लगेगा

शून्य कोटि की अभिक्रिया में यदि प्रारम्भिक सान्द्रता $1/4$ कम हो जाए तब अभिक्रिया को अर्द्ध पूर्ण होने का समय होगा