एक धनावेशित चालक

  • A

    सदैव धन विभव पर रहता है

  • B

    सदैव शून्य विभव पर रहता है

  • C

    सदैव ऋण विभव पर रहता है

  • D

    धन विभव, शून्य विभव अथवा ऋण विभव पर हो सकता हैधनावेशित चालक धन, शून्य या ऋण विभव पर हो सकता है जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि शून्य विभव को किस प्रकार परिभाषित किया गया है।

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धातुओं से बने हुए दो गोले $S _{1}$ और $S _{2}$ जिनकी त्रिज्याएँ क्रमशः $R _{1}$ और $R _{2}$ है आवेशित है। यदि इसकी सतह पर विधुत क्षेत्र $E _{1}\left( S _{1}\right.$ पर $)$ तथा $E _{2}\left( S _{2}\right.$ पर $)$ ऐसे हैं कि $E _{1} / E _{2}= R _{1} / R _{2}$ तो इन पर स्थिर वैधुत वोल्टता $V _{1}\left( S _{1}\right.$ पर $)$ तथा $V _{2}\left( S _{2}\right.$ पर $)$ का अनुपात $V _{1} / V _{2}$ होगा :

  • [JEE MAIN 2020]

मरकरी की $512$ सर्वसम बूंदों में से प्रत्येक को $2\, V$ के विभव तक आवेशित किया गया है। इन सभी बूंदों को मिलाकर एक बड़ी बूंद बनायी गयी है। इस बड़ी बूंद का विभव $.......\,V$ है।

  • [JEE MAIN 2021]

दो अचालक $R_1$ तथा $R_2$ त्रिज्या वाले गोलों को क्रमशः $+\rho$ तथा $-\rho$ एकसमान आयतन आवेश घनत्व से आवेशित किया गया है। इन गोलों को चित्र में दर्शाए अनुसार इस प्रकार जोड़ कर रखा गया है कि वे आंशिक रूप से अतिछादित है। अतिछादित क्षेत्र के प्रत्येक बिन्दु पर -

$(A)$ स्थिर विधुत क्षेत्र शून्य है।

$(B)$ स्थिर विधुत विभव अचर है।

$(C)$ स्थिर विधुत क्षेत्र का परिमाण अचर है।

$(D)$ स्थिर विधुत क्षेत्र की दिशा एकसमान है।

  • [IIT 2013]

किसी चालक गोले के अन्दर विद्युत विभव

एक समद्विबाहु त्रिभुज के $B$ व $C$ शीर्षों पर $ + \,q$ तथा $ - \,q$ आवेश रखे गये हैं शीर्ष $A$ पर विभव होगा

  • [AIIMS 2002]