$100^{\circ} C$ तापमान की $M$ ग्राम वाष्प को $200$ ग्राम बर्फ में एक ऊष्मारोधी बर्तन में मिलाया जाता है। वाष्प मिलाने से पहले बर्फ का तापमान अपने गलनांक के बराबर था। यदि यह प्रक्रिया के अन्त में $40^{\circ} C$ का जल मिलता हो तो $M$ का मान है : (जल की वाष्पीकरण ऊष्मा $540 \,cal / g$ और बर्फ की संगलन ऊष्मा $80 \,cal / g$ है।)
$35$
$37$
$40$
$42$
$0°C$ पर स्थित $5\, gm$ बर्फ को $100°C$ की भाप में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक ऊष्मा होगी (कैलोरी में)
$-20°C$ ताप पर स्थित $10\, gm$ बर्फ को एक कैलोरीमीटर में रखा जाता है, जिसमें $10°C$ ताप पर $10\, gm$ पानी है। पानी की विशिष्ट ऊष्मा बर्फ की विशिष्ट ऊष्मा से दो गुनी है। तापीय सन्तुलन की अवस्था में कैलोरी मीटर में होगा
एक गीज़र $2.0\,kg$ प्रति मिनट की दर से बह रहे जल को $30^{\circ}\,C$ से $70^{\circ}\, C$ तक गर्म करता है। यदि गीज़र एक बर्नर की सहायता से कार्य करता है, तो ईंधन के जलने की दर होगी$............g min ^{-1}$ में) [दहन की उष्मा $=8 \times 10^3\,Jg ^{-1}$, जल की विशिष्ट उष्मा$\left.=4.2 Jg ^{-1}{ }^{\circ} C ^{-1}\right]$
यदि द्रव्यमान ऊर्जा समतुल्यता को ध्यान में रखा जाये तो जब बर्फ पिघलती है तो पानी का द्रव्यमान
बर्फ का कोर्ई टुकड़ा ऊँचार्ई $h$ से इस प्रकार गिरता है कि वह पूर्णत: पिघल जाता है । उत्पत्र होने वाली ऊष्मा का केवल एक-चौथार्ई भाग ही बर्फ द्वारा अवशोषित किया जाता है तथ बर्फ की समस्त ऊर्जा इसके गिरते समय ऊप्मा में रूपान्तरित हो जाती है । यदि बफ्फ की गुप्त ऊष्मा $3.4 \times 10^{5} \;J / kg$ तथा $g =10\; N / kg$ है, तो ऊँचाई $h$ का मान.........$k/m$ है