प्योरलाइन विधि के उपयोग से जो किस्में विकसित की जाती हैं, वे होती हैं
समयुग्मजी $(Homozygous)$ तथा असमान
समयुग्मजी तथा एकसमान
विषमयुग्मजी $(Heterozygous)$ तथा असमान
विषमयुग्मजी तथा एकसमान
सिल्क ग्रंथि का स्राव एक अत्यन्त छोटे छिद्र से बाहर आता है छिद्र स्थित होता है