एक ही पुष्प में परागकोश एवं वर्तिकाग्र का भिन्न-भिन्न समय में परिपक्व होना (स्वपरागण को रोकने के लिये) कहलाता है

  • A

    डायकोगैमी

  • B

    डायकॉटोमी

  • C

    डायक्लिनी

  • D

    डायोएसी

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स्वपरागण के लिये पुष्प होना चाहिये

वह पौधा जिसमें नर और मादा पुष्प दोनों उत्पन्न  होते हैं

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पुष्प जिसमें आवश्यक अंग का एकल समूह पाया जाता है कहलाता है

  • [AIPMT 2004]

स्वपरागण रोकने वाले पुष्पों को क्या कहते हैं