कार्बनिक विकास सम्भव नहीं होता यदि
एक जनसंख्या में जन्तुओं में भिन्नतायें (आनुवांशिक) प्रदर्शित नहीं होतीं
जन्तु के द्वारा उपार्जित लक्षणों को अपनी संततियों में वंशागत नहीं किये गये होते
दैहिक भिन्नतायें वंशागत नहीं होती
दैहिक भिन्नतायें अनुवांशिक भिन्नता में परिवर्तित नहीं की जातीं
प्राकृतिक वरण जिसमें अधिक व्यक्ति औसत लक्षण मान की तुलना में विशिष्ट लक्षण मान उपार्जित करते हैं, उसके द्वारा होता है :
नव-डार्विन वाद के अनुसार निम्न में से कौन नई जातियों की उत्पत्ति करता है
किसी जनसंख्या में "रेन्डम जेनेटिक ड्रिफ्ट" किसके परिणामस्वरुप होता है
उद्विकास का प्रारम्भिक दाव है