सतत् विभिन्नताओं का कारण है
गुणसूत्रीय अनियमितता
पॉलीप्लाइडी
उत्परिवर्तन
जीन विनिमय $(Crossing\, over)$
ह्यूगो डी व्रीज ने ‘उत्परिवर्तनवाद’ का सिद्धांत जिन प्रयोगों के आधार पर दिया वे किये गये
गुणसूत्र जो कि मेलेनीड्यूम पादप में नर लिंग का निर्धारण करता है
ड्रोसोफिला में द्विकोशीय प्राक्भ्रूण की दोनों कोशिकाओं में जब निम्न में से एक गुणसूत्र समुच्चय होंगे तो स्त्री पुरुष (गाइनैन्ड्रोमार्फ) विकसित करते हैं
$4^\circ C$, पर प्रतिस्कन्दक $(Anticoagulant)$ के साथ सम्पूर्ण रक्त संग्रहित किया जाता है तो ${K^ + }$ $RBC$ से बाहर प्लाज्मा में निकल आते है। यह क्योंह होता है